‘नई पहल’ के नौ कदम से बदलती उत्तर प्रदेश की एक पीएसी वाहिनी

बरेली- बरेली में पीएसी की आठवीं बटालियन के पुलिस लाइंस परिसर में करीब 1000 जवान और जवानों के करीब पांच सौ परिवार रहते हैं। लगभग 3500 आबादी वाले इस परिसर की फिजा आम बटालियन जैसी नहीं है। बल्कि ये कुछ बदली-बदली सी लगती है। इसका श्रेय बटालियन के सेनानायक अजय कुमार को जाता है। इंजीनियर से आईपीएस बने अजय कुमार कठिन हालत में नौकरी करने वालों जवानों और उनकी परिवार की जिंदगी को बेहतर बनाने के मिशन में जुटे हैं।

पीएससी के जवानों की ड्यूटी बहुत ही मुश्किल होती है। इन्हें ड्यूटी के सिलसिले में अक्सर महीनों बाहर रहना होता है। ऐसे में मजबूत मानसिक स्थिति के साथ ही परिवार और बच्चों की परवरिश एक बड़ी समस्या है। साल भर पहले अजय कुमार को जब 8वीं बटालियन की जिम्मेदारी मिली तो उन्होंने इस समस्या को सुलझाने का फैसला किया। अफसरों और जवानों से विचार मंथन हुआ और 8वीं बटालियन में ‘नई पहल’ की शुरुआत हुई। ‘नई पहल’ के तहत नौ कार्यक्रम तय किए गए। इसमें जवानों को तनावमुक्त बनाने से लेकर उनके परिवार की काउंसिलिंग और परिसर का माहौल बेहतर बनाने की मुहिम तक सब कुछ शामिल है।

नई पहल के तहत कैंपस को साफ सुथरा और स्वच्छ बनाए रखने की योजना बनी। पॉलीथीन फ्री कैंपस और हरित वाहिनी कार्यक्रम की शुरुआत हुई। कैंपस को पॉलिथीन मुक्त करने का अभियान जोर-शोर से चल रहा है। हालांकि अभी भी लक्ष्य पूरी तरह से नहीं पाया जा सका है। लेकिन उम्मीद है कि जल्द ही कैंपस को पूरी तरह से पॉलिथिन मुक्त बना दिया जाएगा। बरेली की 8वीं वाहिनी उत्तर प्रदेश की ऐसी वाहिनियों में शामिल हैं जहां भरपूर हरियाली है। इसमें जवानों के साथ ही उनके परिवार वालों का भी भरपूर योगदान है। इस साल परिसर में करीब 2500 पौधे लगाए गए हैं। पौधारोपण के बाद यहां पौधों को यूं ही नहीं छोड़ दिया जाता। परिवार के सदस्य की तरह उनकी देखभाल की जाती है।

परिसर के बेहतर माहौल के साथ जवानों के परिवार में अच्छा परिवेश हो, इसको ध्यान में रखकर नई पहल में कई कार्यक्रम शुरू किए गए। बच्चों की परवरिश की जिम्मेदारी मां पर होती है। आम लोगों की ये धारणा होती है कि पुलिसवालों के बच्चे बिगड़े होते हैं। इस धारणा को बदलने के लिए कैंपस में रह रही महिलाओं के काउंसिलिंग के खास इंतजाम किए गए हैं। इसकी कमान खुद सेनानायक अजय कुमार की पत्नी ने संभाल रखी है। इसमें बच्चों की बेहतर परवरिश पर खास जोर दिया जाता है।

पुलिस की तबादले वाली नौकरी होती है। उनके बच्चों की पढ़ाई को ध्यान में रखकर पुलिस मॉडल स्कूल बनाए गए थे। हर बड़े जिले में और पुलिस वाहिनियों में ये स्कूल हैं। 8वीं वाहिनी में भी एक मॉडल स्कूल है। लेकिन उसकी हालत बहुत खराब थी। अजय कुमार ने तैनाती के बाद से ही स्कूल की दशा बदलने का बीड़ा उठाया। टीचरों का सहयोग मिला। स्कूल को पर्याप्त संसाधन मुहैया कराए। फिलहाल स्कूल से ड्राॅप आउट रुक गया है। अभी स्कूल में 300 बच्चे पढ़ते हैं। वाहिनी की योजना परिसर के आसपास एक सरकारी स्कूल गोद लेने की है। अजय कुमार इससे पहले फिरोजाबाद में तैनाती के दौरान एक सरकारी स्कूल का कायापटल कर चुके हैं। स्थानीय बिजनेस मैन की मदद से उन्होंने मॉडल स्कूल बना दिया।

नई पहल के तहत अजय कुमार का जवानों को तनावमुक्त रखने पर खासा जोर है। वे खुद इसके लिए टिप्स देते रहते हैं। महीने में एक बार जवानों से सामूहिक बातचीत करते हैं। उन्हें मार्गदर्शन देते हैं। उनकी काउंसिलिंग करते हैं। उन्हें क्वालिटी काम करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। कई बार बाहर से एक्सपर्ट भी बुलाए जाते हैं। अजय ने अपने जवानों की समस्याओं को दूर करने हरसंभव कोशिश करते हैं। टाइम मैनेजमेंट के साथ वजन पर नियंत्रण पर खास जोर है। इसके उत्साहजनक नतीजे भी सामने आए हैं। कुछ ही महीनों में कई जवानों ने 15 किलो तक वजन कम किया है।

नई पहल में जवानों की पेशेवर काबिलियत पर भी गौर किया गया है। वाहिनी में वन मिनट ड्रिल की शुरुआत की गई। इसमें जवान एक मिनट में असलहों के पुर्जे अलग-अलग कर देते हैं और आंखों पर पट्टी बांधकर उन्हें जोड़ भी देते हैं। लखनऊ में हुए कार्यक्रम में 8वीं वाहिनी को प्रथम पुरस्कार मिला था। अजय कुमार खुद आंख पर पट्टी बांध कर एक मिनट में अपने पिस्टल का पुर्जा-पुर्जा अलग कर उसे जोड़ भी देते हैं। इसके साथ ही परिसर सेफ्टी को लेकर खासा सजग है। यहां सुरक्षा कवच कार्यक्रम के तहत बच्चों और महिलाओं को ट्रैफिक सेफ्टी से लेकर घर की सेफ्टी, स्कूल में सेफ्टी समेत सुरक्षा के तमाम पहलुओं से परिचित कराया जाता है।

एक आईपीएस अफसर ने पीएसी वाहिनी को बदलने का जिस तरह से बीड़ा उठाया है वो काबिले तारीफ है। मृदुभाषी और अंग्रेजी, हिंदी, संस्कृत पर समान अधिकार रखने वाले अजय कुमार नई पहल की कायमाबी का श्रेय जवानों उनके परिवार और मातहत अफसरों को देते हैं।
– बरेली से सौरभ पाठक

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