बरेली। जनपद के थाना फरीदपुर पुलिस ने 21 अगस्त की रात नवदिया अशोक गांव के स्मैक तस्करों को गिरफ्तार किया था। थाने के इंस्पेक्टर रामसेवक ने तस्करों को छोड़ने के लिए 15 लाख रुपये की मांग की। सात लाख रुपये लेकर आलम व नियाज अहमद को छोड़ दिया था। कागजों पर दबिश चलती रही। उधर रामसेवक को हाईकोर्ट से 60 दिनों में अदालत में आत्मसमर्पण की मोहलत मिल गई है। इस अवधि में उसे जिला एवं सत्र न्यायालय में पेश होने का आदेश दिया गया है। मामले मे भ्रष्टाचार की धारा समेत दो एफआईआर दर्ज की गई थी। रामसेवक की ओर से रिपोर्ट रद्द करने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी, जिसे उच्च न्यायालय ने निरस्त कर दिया। रामसेवक को मोहलत देते हुए न्यायालय ने कहा कि यदि वह 60 दिनों के भीतर जिला एवं सत्र न्यायालय में आत्मसमर्पण कर जमानत या अग्रिम जमानत के लिए आवेदन करता है तो उसके प्रार्थना पर अदालत विचार कर सकती है। इन 60 दिनों तक बरेली पुलिस फरार इंस्पेक्टर रामसेवक को गिरफ्तार नही कर सकती है। पुलिस सूत्रों के अनुसार रामसेवक ने रंजिशन फंसाने का हवाला देते हुए उच्च न्यायालय मे याचिका दायर की थी। अब अपनी इसी बात को न्यायालय मे साबित करने के लिए वह साक्ष्य एकत्र करेगा। सूत्र ये भी बताते हैं कि रामसेवक विभाग के ही एक शख्स को इसके लिए जिम्मेदार मान रहा है। उसके खिलाफ रामसेवक के पास साक्ष्य भी है। जिन्हें कोर्ट मे पेश करके वह केस की तस्वीर पलट सकता है। रामसेवक के मुकदमे की विवेचना कर रहे सीओ हाईवे नितिन कुमार ने उसके खिलाफ सरकारी पिस्टल व कारतूस गबन की एक और रिपोर्ट दर्ज कराई थी। अन्य अपराधियों के पकड़ में न आने पर पुलिस कोर्ट से उसका गैर जमानती वारंट, कुर्की आदि की कार्रवाई कराती है। रामसेवक के मामले में ऐसा कुछ नहीं किया गया। काफी समय तक वह नहीं मिला तो एसएसपी अनुराग आर्य ने सीओ हाईवे नितिन कुमार के निर्देशन में एसआईटी गठित कर दी थी।।
बरेली से कपिल यादव