जलती आग़ के अंगारों पर शिया समाज के युवाओं ने अदा की नमाज़

बरेली- इमाम हुसैन की याद में अंजुमन शमशीर हैदरी बरेली का अजीम जुलूस 100 वर्ष से अपनी शान शौकत के साथ निकाला जाता है जिसमें इमाम हुसैन के चेहलुम की याद में 25 सफर इमामबाड़ा बैरिस्टर साहब ब़जार संदल का थाना किला में म़जलीस का प्रोग्राम आयोजित होता है जिसमें कर्बला के इतिहास पर रोशनी डाली जाती है इमाम हुसैन के परिवार को यजी़द के हुकुम से भूखा प्यासा कत्ल कर दिया जिनके शॉव कर्बला की धरती पर पड़े रहे परिवार की महिलाओं बच्चीओं को बंदी बना लिया गया यजी़द के बंदी गृह में भूखा प्यासा रख पीड़ा दी गई जब यजी़द की समाज निंदा होने लगी यजी़द ने मोहम्मद साहब की नावासियों को आजाद किया आजा़द होने के बाद महिलाओं ने कर्बला की धरती पर मोहम्मद साहब की बेटी ने मज़लीस आयोजित की परिवार के शहीद हुए शहीदों का मताम किया जब सें अब तक लगतार शिया समाज के लाेगं इमाम हुसैन के गम़ में मतामं करते है इसी सिलसले काे कायम रकते हुऐ शमशीर हेदरी बरेली की द्वारा कार्यक्रम आयोजित होता आ रहा है जुलूस बैरिस्टर साहब के यह सें काला इमाम बड़ा आकर समाप्त होता है यहां पर अंजुमनों के द्वारा आंग का मतामं होता है युवाओं ने जंजीर का मातम आग पर नमाज पढ़ी बाद में अंजुमन के बुजुर्ग को इनाम से नवाजा गया।

– बरेली से तकी रज़ा

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