झारखंड/चतरा- आम्रपाली कोल परियोजना से जुड़े विस्थापित प्रभावित ग्राम समिति ने नौकरी मुआवजा व मूलभूत सुविधाओं व चार सूत्री मांगों को लेकर सोमवार से अनिश्चितकाल के लिए परियोजना का कामकाज ठप कर दिया परियोजना से विस्थापित गांव कुमरांगकला कुमरांगखुर्द,होन्हे,बिंगलात एवं उर्सू के सैकड़ों ग्रामीणों ने सीसीएल के 6 नंबर कांटा के समक्ष धरने पर बैठ कर मांग कर रहे हैं। सीसीएल प्रबंधन से भू-रैयतों का मांग पूरी ना करने का गंभीर आरोप लगा है ग्रामीणों रैयतों परियोजना की मांग में कोयले की लोडिंग मजदूरों से कराने गैरमजरूआ जमीन को अतिशीघ्र सत्यापन कराकर नौकरी व मुआवजा देने बुनियादी सुविधाएं बहाल करने आदि मांगें शामिल है विस्थापितों ने कहा है की परियोजना खुले 6 वर्ष बीत जाने के बावजूद भी बिजली, पानी,सड़क, स्वास्थ्य एवं शिक्षा जैसे मूलभूत सुविधाओं से क्षेत्र आज तक वंचित है। जनरेटर के सहारे कोयले का उत्खनन कार्य हो रहा है जो कि हम लोगों के क्षेत्र के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है। भू-रैयतों ने सीसीएल पर संगीन आरोप लगाते हुए बताया कि क्षेत्र में बहुत मनमानी की गई है,अब उनकी मनमानी को नहीं चलने दिया जाएगा। सीसीएल इस क्षेत्र में पिछले 5 वर्षों से जमीन देने वाले रैयतों के साथ दोहरी-निति अपनाकर शोशन कर रही है। आज तक अधिकांश रैयतों को नौकरी व मुआवजा नहीं दिया गया। रैयत अपने हक और अधिकार की मांग को लेकर परेशान हैं।उन्होंने बताया कि हमलोगों द्वारा आंदोलन.करने पर हमलोगों.पर एफआईआर कर अपना काम निकाल लेती है। हमारे यहां एशिया की सबसे बड़ी कोल माइंस होने के बावजूद भी हम सब बेरोजगार लाचार और बेबस हैं सीसीएल स्थानीय लोगों की बजाए बाहरी लोगों को नौकरी देती है और हम स्थानीय लोग बाहर जा कर दर-दर की ठोकरें खाते हैं। स्थानीय ट्रक-हाईवा ऑनरों की हालात इतनी बूरी हो गई है कि वे अपने वाहनों के किस्त भी नहीं दे पा रहे हैं और बाहरी वाहनों द्वारा सीसीएल से कोयले की ढुलाई कराई जा रही है। जिसके कारण स्थानीय गाड़ी मालिक मजबूर लाचार और बेबस हो चुके हैं l इसके बावजूद न तो स्थानीय प्रशासन मदद कर रही है और ना ही सीसीएल के द्वारा कोई मदद हो पा रही है ।
– कुमार अभिषेक, जिला संवाददाता चतरा, झारखंड