बरेली। सूर्य और छठ मैया के उपासना के महापर्व के दूसरे दिन महिलाओ ने स्नान कर खरना शुरू किया। दिन भर निर्जला व्रत रखने के बाद शाम को चूल्हे पर साठी के चावल और गुड़ की खीर बनाई। इस पूरे परिवार के साथ केले के पत्ते पर रखकर ग्रहण किया। इसके साथ ही 36 घंटे का निर्जला महाव्रत शुरू हो गया। आज व्रती अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देंगे। हमहूं अरघिया देबै हे छठि मइया… हम न जाइब दूसर घाट देखब हे छठि मइया… रविवार शाम को रामगंगा, देवरनियां नदी, इज्जतनगर व विश्वविद्यालय कैंपस स्थित मंदिर में बनाए गए कृत्रिम सरोवर के किनारे यह गीत गूंजा तो ऐसा लगा जैसे बिहार की छटा उतर आई हो। यहां पूरा का पूरा परिवार छठ माई की वेदी सजाने के लिए पहुंचा हुआ था। छठ पर्व के दूसरे दिन रविवार कार्तिक शुक्ल पंचमी को खरना का विधान पूरा किया गया। शाम को व्रतियों ने प्रसाद के रूप में गन्ने के रस में बनी चावल की खीर, पूड़ी और फल का सेवन किया। इसी के साथ 36 घंटे के व्रत का दूसरा चरण शुरू हो गया। सूर्य को मुख्य अर्घ्य 27 अक्तूबर सोमवार की शाम को दिया जाएगा। इज्जतनगर रेलवे कालोनी और रोड नंबर-सात, विश्वविद्यालय कैंपस मिनी बिहार व पूर्वांचल बन गया है। यहां सैकड़ों परिवार पूर्वांचल व बिहार के हैं और छठ का पर्व धूमधाम से मनाते है। प्रकृति प्रेम और भगवान भास्कर की उपासना के पर्व डाला छठ का उल्लास अपने चरम पर है। रविवार को घर से लेकर घाट तक छठ पूजा की खुशी देखते ही बनती थी। व्रती महिलाओं ने विधिविधान से खरना की रस्म पूरी की और सूर्योपासना का संकल्प लिया।।
बरेली से कपिल यादव
