मीरगंज, बरेली। लॉकडाउन ने गांव कस्बों में साप्ताहिक बाजारें नहीं लग रही हैं। दिल्ली की मंडी में किसान खेतों से सब्जी नहीं ले जा रहे हैं। जिससे सब्जी की कीमतें जमीन पर आने से सब्जी उत्पादक किसानों की कमर टूट गई है। बैंगन चार रुपए किलो बिक रहे हैं। इससे तंग आकर किसानों ने खेतों में फसल सुखा दी या उजाड़ डाली है। परेशान किसान सब्जी की खेती से तौबा करने लगे हैं। गांव-कस्बों में लगने वाली साप्ताहिक बाजारें नहीं लग रही हैं। इन बाजारों में सब्जी की बड़ी खपत होती थी। लोगों की आवाजाही बंद होने से किसान खेतों में तैयार सब्जियों को दिल्ली और दूसरे प्रदेशों की मंडियों में बेंचने नहीं ले जा पा रहे हैं। जिससे सब्जी की कीमतें जमीन पर आ गई हैं। कुछ किसान जुगाड़ कर बरेली मंडी में सब्जी भेज रहे हैं। बिक्री न होने से मंडी में सब्जी की मांग कम हो गई है। मीरगंज क्षेत्र में कुल्छा खुर्द, नौसना, गुगई, नौसना, नंदगांव, नगरिया सादात, सिंधौली, रसूलपुर, हुरहुरी, बहरोली, सिरौधी, धनेटा, उनासी, मनकरी, भिटौरा, अग्रास आदि गांवों में किसान बड़ी संख्या में खेतों में सब्जी उगाते हैं। इन गांवों के किसान खेतों से सब्जी लेकर सीधे बरेली की मंडी नहीं जा पा रहे हैं। किसान सब्जी बोरों में भर कर गाड़ी से मंडी भेज रहे हैं। चालक मंडी में सब्जी बेंच कर गांव लौट कर पैसे किसानों को दे देते हैं। सब्जी की कीमतें जमीन पर आने से किसानों की कमर टूट गई है। खेतों में लगाई लागत भी डूब गई है।
चार रुपए किलो बिक रहे हैं बैंगन
गांव कुल्छा खुर्द के दुली राम मौर्य, हरद्वारी लाल मौर्य, चंद्र बाबू आदि किसानों ने गांव की पिकअप से बैंगन के बोरे बुधवार को बरेली मंडी भेजे। दुलीराम ने बताया मंडी में बैंगन चार रुपए किलोग्राम के रेट में बिके। दुलीराम ने बताया 30 किलो बैंगन के बोरे के 120 रुपए मिले। इसमें 15 रुपयों का खाली बोरे पर, 30 रुपए मंडी तक का किराया, पांच रुपए प्रति किलो पल्लेदारी और आढ़त के रुपए कटते हैं। एक बोरा बैंगन बिकने पर मिले 120 रुपयों में 55 रुपए का खर्चा निकल जाता है। हमें 30 किलो बैंगन के 65 रुपए ही मिले। उनकी पत्नी राजोदेवी ने बताया तीन बीघा खेत में 35 हजार रुपयों की लागत लग गई। लागत डूब गई। बैंगन नहीं तोड़ें तो खराब हो जायेगें। हरद्वारी ने बताया दिल्ली मंडी में बैंगन की फसल शुरू होने पर प्रति बोरा 400 रुपए मिलते थे। फ सल के आखिर में भी बोरा 200 रुपए छोड़ कर जाता था।
खेतों में सूख गई बंद गोभी, पालक, मूली
ब्रिकी न होने से खेतों में बंदगोभी, फूल गोभी, पालक, मूली आदि सब्जियां सूख गई हैं। कीमतें कम होने पर किसान इन्हे मंडी नहीं भेज रहे हैं। कुल्छा खुर्द के प्रधान लाखन मौर्य ने बताया लॉक डाउन से पहले एक बीघा बंदगोभी से 15000 रुपए मिले गए थे। लॉक डाउन होने पर बंद गोभी खेतों में सूख गई। गांव नगरिया सादात के मोहन लाल मौर्य ने बताया बंद गोभी खेतों में सूख गई। कीमतें कम हैं। मंडी भेजते तो किराए के पैसे भी जेब से भरने पड़ते।
सब्जी की खेती से तौबा करने लगे किसान
लागत डूब्ने से किसान सब्जी की खेती छोड़ने लगे हैं। कुल्छा खुर्द के प्रधान के खेत में चंद्र बाबू ने बटाई पर बैंगन की खेती की थी। घाटा होने पर उन्होने सब्जी उगाने से हाथ खड़े कर दिए। लाखन सिंह ने बताया बटाईदार ने कह दिया बैंगन के बाद धान की खेती खुद कर लेना। किसान बरसात में तैयार होने वाली तोरिया, लौकी, भिंडी, करेली और बंदगोभी की बुबाई खेतों में नहीं कर रहे हैं। लौकी तोरिया करेला इन दिनों पालेज का मिल रहा है।।
– बरेली से कपिल यादव