कोरोना से घबराए बाघिन को पकड़ने आए वन अधिकारी, वापस लौटे

बरेली। कस्वे रबड़ फैक्ट्री परिसर में बाघिन को पकड़ने के लिए आई टीम कोरोना के डर से वापस लौट गई। अब सिर्फ कानपुर जू के विशेषज्ञ डॉक्टर आरके सिंह और बरेली वन विभाग की टीम ही रह गई है। बाघिन को पकड़ने के लिए फैक्ट्री परिसर में चूना कोठी में दरवाजे लगाए जा रहे हैं।ऑटोमेटिक दरवाजा लगाकर बाघिन को पकड़ा जाएगा। 16 मार्च की रात से बाघिन होने की पुष्टि की जा चुकी है। इसको लेकर डब्ल्यूडब्ल्यूएफ डब्ल्यूआईटी, टाइगर रिजर्व, दुधवा नेशनल पार्क समेत कई जगह से टाइगर विशेषज्ञ बुलाए गए थे। सेंसर युक्त सीसीटीवी कैमरे भी लगाए। कोरोना वायरस को देखते हुए विशेषज्ञों की टीम भी हिम्मत हारने लगी। सबसे पहले डब्लूआईटी के सदस्य बरेली से वापस लौट गए। डब्लूडब्लूएफ, टाइगर रिजर्व की टीम भी अपने कैमरे लेकर वापस लौट गई। वर्तमान में बुधवार को कानपुर जू के विशेषज्ञ डॉक्टर आरके सिंह, डीएफओ भारत लाल समेत अन्य अधिकारी ही बाघिन की तलाश में जुटे रहे। बुधवार को सीसीटीवी कैमरे में बाघिन के कोई भी फोटो कैप्चर नहीं हुए। न ही कोई पदचिन्ह मिले। हालांकि यह पता चल गया है कि बाघिन कोयला कोटी और चूना कोठी के आसपास ही रहती। माना जा रहा है कि चूना कोठी में यदि पड्डा को बांधकर ऑटोमेटिक दरवाजे लगा दिया जाए तो बाघिन को पकड़ा जा सकता है। कोठी में बाघिन के घुसते ही दरवाजा बंद हो जाएगा। दरवाजे लगाने के लिए वन विभाग ने कारपेंटर लगा दिए हैं। डीएफओ भारत लाल का कहना है, जल्द ही बाघिन को पकड़ा जाएगा। पूरी तरह से टीम बाघिन के ठिकाना का पता लगा चुकी है।।

– बरेली से कपिल यादव

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