कोरोना मामले में सफल योगी सरकार व उद्धव ठाकरे सरकार हुई विफल

बरेली। देश में कोरोना का आंकड़ा 13 हजार के करीब है। यह आंकड़ा तक पहुंचा जब 21 दिन का लॉकडाउन लागू था यानी कि सब कुछ बंद जैसे ट्रेन,बस, फ्लाइट, मेट्रो, कैब, मॉल, थिएटर बंद और लगभग लोग भी घर में बंद थे। इन 21 दिनों में महाराष्ट्र कोरोना का हॉटस्पॉट बनकर उभरा। महाराष्ट्र में कोरोना मरीजो का आंकड़ा 3100 पहुंच चुका है। छोटे से राज्य दिल्ली का हाल भी किसी से छुपा नहीं है। वहां भी कोरोना मरीजो की संख्या 16 से पार कर चुकी है। अगर बात करें देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की तो वहां हालात बेहतर नजर आते हैं। ऐसा नहीं है कि यूपी में कोरोना संक्रमित मरीज नहीं है लेकिन जहां एक तरफ दिल्ली में मरीज 1600 पार कर चुका है और महाराष्ट्र में 3000 के पार कर चुका है वहीं उत्तर प्रदेश में मरीजों का आंकड़ा 700 के आसपास है तो आखिर ऐसी क्या वजह है कि उत्तर प्रदेश ने अपने यहां कोरोना को थाम के रख दिया है जबकि दिल्ली और महाराष्ट्र में कोरोना का बिस्फोट हो गया है आज हम पर विश्लेषण करेंगे।
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार एक्शन मूड में
एक तरफ जहां उत्तर प्रदेश सरकार शुरू से पूर्व ना से निपटने को लेकर एक्टिव नजर आई वहीं दूसरी तरफ महाराष्ट्र सरकार का ध्यान कोरोना निपटने में कम और अपना पीआर करवाने में ज्यादा नजर आया। एक्शन के मूड में योगी आदित्यनाथ की बात पहले करते हैं।उत्तर प्रदेश मे जिस वक्त कोरोना शुरुआती दौर में ही अपने पांव पसार रहा था। उत्तर प्रदेश सरकार एक्टिव हो गई थी। कोरोना छिपाने वालों पर यूपी की योगी सरकार कानूनी कार्यवाही का आदेश दे चुकी थी। शुरुआती दौर में ही योगी सरकार ने कोरोना से निपटने के लिए विशेष कोविड केयर फंड की स्थापना की। जिसका आकार 1000 करोड़ रुपए है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रशासन को सख्त रखा। उनका साफ निर्देश था कि कोरोना मामले में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इसलिए जब नोएडा में कोरोना के सबसे ज्यादा मरीज सामने आए तो उन्होंने नोएडा के डीएम को रातों-रात हटा दिया। जब बड़ी संख्या में दिल्ली से प्रवासी मजदूर यूपी में प्रवेश कर रहे थे तब उन्होंने 1000 बसों की तत्काल व्यवस्था की और व्यवस्था का जायजा लेने स्वयं मुख्यमंत्री नोएडा और लखनऊ का दौरा करते रहे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद सड़कों पर उतरे और वहां मौजूद यात्रियों का जायजा लिया। मुख्यमंत्री ने लॉक डाउन को सफल बनाने के लिए उत्तर प्रदेश के सभी डीएम एसएसपी की जवाबदेही तय की और साफ किया कि पहले 14 अप्रैल फिर 3 मई तक सारे बॉर्डर सील रहेंगे। इसके अलावा मुख्यमंत्री ने डीएम को आदेश दिए कि उत्तर प्रदेश का कोई व्यक्ति अगर भूखा सोया तो उसकी जवाबदेही भी आपसे होगी। कोरोना वायरस के चलते देशव्यापी लॉक डाउन की मार सबसे ज्यादा प्रदेश के दिहाड़ी मजदूर और मनरेगा मजदूरों पर पड़ी। योगी सरकार ने सबसे पहले 27.5 लाख मनरेगा मजदूरों के अकाउंट में 611 करोड़ से ज्यादा रुपए ट्रांसफर किए और बाद में 20 लाख से अधिक दिहाड़ी मजदूरों के खाते में सीधे 1000 रुपये की पहली किस्त भेज दी।
प्रदेश मे हॉटस्पॉट को चिह्नित कर किये सील
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कोरोनावायरस एने के लिए एक खास टीम बनाई इस टीम में 11 कमेटियां बनाई और उन सबकी अलग-अलग जिम्मेदारियां तय की जिसका नतीजा दिखा और यूपी में कोरोना उस तरह पैर नहीं पकड़ सका। जिस तरह दिल्ली और महाराष्ट्र में अपने पैर पसारे हुए हैं।
अनुभवहीन साबित हुए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे
अब बात करते हैं महाराष्ट्र की तो महाराष्ट्र में लॉक डॉन के दौरान कोरोना के मामले बहुत तेजी से बढ़े और राज्य की उद्धव सरकार उसके सामने बेबस नजर आई राज्य में प्रशासनिक लापरवाही का ही परिणाम था कि एक तरह से तेरे से कोरोना का विस्फोट हो गया राज्य में बढ़ते कोरोनावायरस के आंकड़े यह गवाही देते हैं कि वहां की मानीटरिंग ठीक से नहीं की गई और लापरवाही का आलम देखिए मातोश्री के बाहर चाय दुकान चलाने वाली ही कोरोना पॉजिटिव निकली। उद्धव ठाकर प्रतिदिन प्रेस कॉन्फ्रेंस करते रहे और सोशल मीडिया पर फिल्मी सितारे उद्धव सरकार के गुण गाते रहे लेकिन जमीनों पर हकीकत बिल्कुल अलग थी। सरकार के आला अधिकारी वीवीआईपी लोगों को कर्फ्यू पास देते रहे। उद्योगपति और बंधुओं परिवार को जिस तरह कर्फ्यू पास देकर उन्हें सपरिवार पिकनिक मनाने की छूट दी गई। उससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि उद्धव ठाकरे का अपने अधिकारियों पर कितना अंकुश है और महाराष्ट्र के प्रशासनिक अधिकारी लॉकडाउन को लेकर कितने संवेदनशील हैं। यह अफवाह की बजह हजारों लोगों को बांद्रा रेलवे स्टेशन पर एकत्रित होना यह दिखाता है कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे इस महामारी से निपटने में अनुभवहीन साबित हो रहे हैं। उद्धव ठाकरे जिद कर मुख्यमंत्री बन गए लेकिन राज्य के हालात उनसे संभल नहीं रहे हैं। अधिकारियों पर कोई लगाम नहीं है। उन्हीं की लापरवाही का नतीजा है कि आज महाराष्ट्र कोरोना का हॉटस्पॉट राज्य बन गया है और महाराष्ट्र हिंदुस्तान का बुहान शहर बनने की कगार पर है।।
– कैलाश शर्मा, मंडल महामंत्री भाजपा

– बरेली से कपिल यादव

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