कूड़ेदान से भी बदतर हो गए है लेटर बॉक्स, लेटर बॉक्स बने शोपीस

बरेली। एक वक्त वह भी था जब लेटर बॉक्स को आपसी संबंधों की महत्वपूर्ण कड़ी माना जाता था। एक वक्त यह भी है कि लेटर बॉक्स की हालत कूड़ेदान से भी गैर गुजरी हो गई है। कूड़ेदान में कभी-कभी लोग भूले बिसरे कूड़ा डाल ही देते हैं लेकिन लेटर बॉक्स मे तो लेटर बॉक्स में तो कई सालों से कोई लैटर डाला ही नहीं जा रहा है। यही वजह है कि जहां-तहां लगे लेटर बॉक्स पूरी तरह अनुपयुक्त हो गए है। यही वजह है कि जंक्शन के प्लेटफार्म संख्या पांच पर लगा लेटर बॉक्स कूड़ेदान की तरह डाल दिया है दर्शन आज से कुछ समय पहले लेटर बॉक्स की अपनी एक अहम भूमिका मानी जाती थी। अधिकांश लोग अपने सगे संबंधियों के हाल-चाल जानने और घरेलू खैर खबर जानने के लिए पत्राचार का ही प्रयोग करते थे। उस दौर में नेटवर्क की बहुत ही अहमियत हुआ करती थी लेकिन अब इंटरनेट और मोबाइल फोन में व्हाट्सएप आदि का प्रचलन बढ़ा क्योंकि उन लोगों का ध्यान पत्राचार से हटता जा रहा है। बरेली कॉलेज में बने उप डाकघर के बाहर, राधेश्याम एंक्लेव स्थित उप डाकघर के बाहर, बिहारीपुर स्थित उप डाकघर के बाहर, राजकीय इंटर कॉलेज के सामने मस्जिद वाली रोड पर स्थित उप डाकघर के बाहर, नगर निगम स्थित उप डाकघर के बाहर लगे लैटर बॉक्स में की अहमियत अब कबाड़ से अधिक नहीं रह गई है। डाक विभाग के कर्मचारियों का भी यही कहना है कि एक साल से जब भी लेटर बॉक्स का ताला खोला तो उसमें एक भी पत्र नजर नहीं आता इसलिए लेटर बॉक्स अब खोलें ही नहीं जाते। अब तो स्थिति ऐसी हो गई है कि अधिकांश लेटर बॉक्स नीचे से गल चुके है। कुछ स्थानों से हटाकर उन्हें कार्यालय के अंदर रख दिया गया है। जंक्शन के प्लेटफार्म संख्या पांच पर यात्रियों की सुविधा के लिए लगाया गया लेटर बॉक्स जिसे कुछ समय पहले दिन मैं पांच बार खोलकर डाक निकाली जाती थी। अब महीनों से नहीं खोला गया है। समय का चक्र बदलते ही उसमें लेटर न होने की वजह से देखभाल न होने से उसके नीचे का हिस्सा पूरी तरह गल गया है। अब उसे उठाकर कूड़ेदान में डाल दिया गया है। आजकल हर व्यक्ति के पास मोबाइल होने की वजह से वह अपने निकटतम सगे संबंधी के हाल-चाल पल भर में जान देता है। जिसके चलते पत्राचार का चलन काफी कम होता जा रहा है। इसी वजह से डाक विभाग ने भी पोस्टकार्ड, अंतर्देशीय पत्र आदि का स्टॉक रखना काफी कम कर दिया है। सीनियर पोस्टमास्टर एसके त्रिवेदी का कहना है कि मोबाइल के युग में डाक सेवा में काफी गिरावट आई है। पोस्टकार्ड, अंतर्देशीय पत्र अब तो प्राय: सरकारी उपयोग में ही काम आप आते है। जिसकी मांग न के बराबर रह गई है।।

बरेली से कपिल यादव

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *