कलेक्टर साहब फुर्सत हों तो अस्पतालों का औचक निरीक्षण कर ड्रेस कोड लागू करवाएं

बाड़मेर/राजस्थान- जिला मुख्यालय ओर जिले के सभी अस्पतालों के चिकित्सकों और स्वास्थ्य कर्मचारियों के लिए राज्य सरकार द्वारा ड्रेस कोड अनिवार्य किया गया है। समय-समय पर सरकारी आदेशों के अनुसार सरकारी डाक्टरों और अस्पतालों में ड्यूटी के दौरान सभी सरकारी अधिकारियों और नर्सिंग स्टाफ कर्मचारियों को निर्धारित गणवेश में आने वाले आदेश आजकल रद्दी की टोकरी में शायद शोभायमान होगा। पूर्व जिला कलेक्टर द्वारा समय-समय पर अस्पताल में डाक्टरों के पास मौजूद लपको के विरूद्ध कार्यवाही करने के साथ ही अस्पताल परिसर में सादे वेश में यदि चिकित्सक व नर्सिंग कर्मचारी नजर आए तो उनके खिलाफ नियमानुसार सख्त कार्रवाई होगी। लेकिन जिले में अधिकारियों के बदलते ही अस्पताल के आस-पास वहीं रंगीन प्रिंट के अलग-अलग कर्मचारियों की आधुनिक फौज…

पूर्व जिला कलेक्टर के आदेशानुसार चिकित्सकों और कर्मचारियों की पहचान सुनिश्चित कर मरीजों को बेहतरीन तरीके से इलाज़ करवाने की सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए ड्रेस कोड लागू करने वाला निर्देश जारी किया गया था। बाड़मेर जिले के सामुदायिक, प्राथमिक ओर उप-स्वास्थ्य केंद्रों की व्यवस्थाएं पहले काफी हद तक बिगड़ी हुई थी। ओर विभागीय नियमों के अनुरूप जो ड्रेस कोड निर्धारित है, उसका पालन लगभग दस बीस फीसदी कर्मचारी जानबूझकर नहीं करते थे।

सरकारी अस्पतालों में कई बार अस्पताल में नर्सिंग कर्मचारियों और मरीजों व उनके परिजनों में कोई फर्क ही नजर नहीं आता, जबकि नियमानुसार पद के अनुरूप चिकित्सकों, कर्मचारियों को निर्धारित गणवेश में ड्यूटी के दौरान रहना अनिवार्य होता है। लेकिन इस निर्देश की आज-कल डेंगू महामारी के दौरान खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।

हमारी टीमवर्क ने शहर के अलावा आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के अस्पतालों का निरीक्षण किया तो उन्होंने देखा कि अधिकांश चिकित्सक व कर्मचारी निर्धारित गणवेश में ही नहीं थै। उन्होंने कारण जानना चाहा तो किसी ने भी इस सम्बन्ध में ठोस जवाब नहीं दिया।

अस्पताल प्रबंधन के लापरवाह अधिकारियों द्वारा इस बेसिक नियम का पालन कराने पर ध्यान नहीं देने की वजह से चिकित्सकों-कर्मचारियों द्वारा सादा वेश धारण करने की चली आ रही परंपरा का जवाब मिलते ही वे बिफर पड़े।

अस्पताल के बाहर बी एल शर्मा ने बताया कि जिले भर में पहले स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सक- कर्मचारियों को ड्रेस कोड का पालन करना होगा। यदि इसमें कोताही हुई तो नियमों के तहत समय-समय पर औचक निरीक्षण करने के दौरान ही कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। पूर्व जिला कलेक्टर द्वारा इस सम्बन्ध में आदेश भी जारी किया गया था। उन्होंने कहा है कि बतौर सरकारी लोक सेवक हमारे लिए जो नियम बना हुआ है, उसका पालन हम सबको मिलकर करना होगा। तभी हम आवश्यक व्यवस्थाओं में सुधार की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं। अन्यथा फिर नहीं

जिला मुख्यालय पर अस्पताल परिसर के उपरी मंजिल पर टीकाकरण करवाने पहुंची महिलाओं ने ड्रेस कोड नहीं होने पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि जब चिकित्सा विभाग के कर्मचारी ही निर्धारित गणवेश में नहीं होंगे तो मरीज उन्हें पहचान कैसे पाएंगे कि इसमें डाक्टर साहब ओर नर्सिंग स्टाफ है या फिर कोई और उन्होंने कहा कि सभी चिकित्सकों व कर्मचारियों के लिए ड्रेस कोड लागू होना चाहिए।

जिला मुख्यालय पर विराजमान सरकारी मशीनरी को समय-समय पर अस्पतालों का आकस्मिक निरीक्षण करना चाहिए ताकि आपातकालीन स्थिति में कोई मरीज या उनके परिजन पहुंचे तो ड्रेस कोड से ही उन्हें पता चलना चाहिए कि वे जिनसे जांच व उपचार की बात कर रहे हैं, वह आखिर है कौन।

इस सम्बन्ध में ज्यादा जानकारी देते हुए मेडिकल कॉलेज प्रभारी डॉ राजेन्द्र कुमार आसेरी ने बताया कि अस्पताल परिसर में बिना ड्रेस कोड की बेहद गंभीर बात हैं ओर राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर आदेशों द्वारा ड्युटी के दौरान नियमानुसार ड्रेस कोड और पहचान पत्र गले में होना चाहिए लेकिन इस सम्बन्ध में ज्यादा जानकारी पीएमओ बी एल मंसुरिया ही दें सकते हैं।

– राजस्थान से राजूचारण

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