राजस्थान- चैत्र और शारदीय नवरात्रि में कन्या पूजन का विशेष रूप से महत्व है। नवरात्रि की अष्टमी-नवमी तिथि को कन्या पूजन किए जाते हैं और इसमें छोटी चारण कन्याओं को माता का स्वरूप मानकर इनकी पूजा अर्चना करने के साथ ही माता की प्रसादी ग्रहण करवाईं जाती है और सुविधा के अनुसार दान दक्षिणा देकर आशीर्वाद लिया जाता है। लेकिन कन्या पूजन में कन्याओं के साथ एक नादान बालक का होना भी जरूरी होता है, इसके बिना कन्याओं का पूजन अधूरा माना जाता है।
चारण छात्रावास स्थित करणी माता मन्दिर के पूजारी खेता राम शर्मा ने बताया कि नवरात्रि का व्रत कन्या पूजन के बिना पूरा नहीं होता है। नवरात्रि की नवमी तिथि यानी मां सिद्धिदात्री की पूजा के दिन लोग अपने घरों में छोटी कन्याओं को बुलाकर कन्याओं पूजन करते हैं तो वहीं कुछ लोग अष्टमी तिथि को भी कन्याओं पूजन करते हैं। इसे कंजन पूजा या कुमारी पूजा भी कहा जाता है। हिन्दू धर्म के अनुसार बिना कंजक पूजा के नवरात्रि व्रत का फल नहीं मिलता है।
– राजस्थान से राजूचारण