एमएलसी चुनाव में प्रत्याशियों के लिए भितरघात बनी मुसीबत

बरेली। बरेली मुरादाबाद शिक्षक खंड निर्वाचन चुनाव में भितरघात प्रत्याशियों के लिए मुसीबत बनती जा रही है। राजनीतिक दलों के सिंबल पर लड़ रहे प्रत्याशियों के लिए यह समस्या कुछ ज्यादा ही बड़ी है। निर्दलीय प्रत्याशी इससे परे हैं। ऐसे में कोई बड़ी बात नहीं कि इस बार विनय खंडेलवाल जैसे निर्दलीय प्रत्याशी ही बाजी मार कर ले जाए। खंड निर्वाचन चुनाव के प्रत्याशियों की बात की जाए तो सपा ने निवर्तमान एमएलसी संजय मिश्रा पर एक बार फिर से दांव खेला है। संजय मिश्रा से उनकी पार्टी के पदाधिकारी ही संतुष्ट नहीं है। बरेली में हुई पार्टी की बैठक के दौरान कलह खुलकर सामने आ गई थी। जब पदाधिकारियों ने उनसे यह पूछ लिया कि वह बीते छह सालों में कितनी बार समाजवादी पार्टी के कार्यालय पर आए हैं। सपा के चलते संजय मिश्रा को मुस्लिम वोट मिलने की कुछ उम्मीद है। इन वोट पर कांग्रेस के प्रत्याशी डॉ मेहंदी हसन का भी दावा नजर आ रहा है। भाजपा के डॉ हरी सिंह ढिल्लो का हाल भी कुछ ऐसा ही है। अनुशासित पार्टी के चलते भाजपाई खुलकर भले ही ढिल्लो का विरोध नही कर रहे हो मगर अंदर खाने उनका चुनाव लड़ाने वालों की संख्या कम ही है। भाजपा से टिकट की आस में जीआईसी के शिक्षक आशुतोष शर्मा ने वीआरएस ले लिया था। आशुतोष भाजपा से टिकट न मिलने के बाद निर्दलीय ही मैदान में उतर चुके हैं। इस तरह से वे भाजपा के परंपरागत वोट बैंक में सेंध लगाकर डॉ हरी सिंह ढिल्लों को सीधा नुकसान पहुंचाएंगे। शिक्षक संघ शर्मा गुट के वोट भी पूर्व एमएलसी सुभाष चंद्र शर्मा, उनके ही गुट के जिला अध्यक्ष रहे डॉ राजेंद्र गंगवार और सुनीत गिरी के बीच बंटते नजर आ रहे हैं। इन तीनों ही प्रत्याशियों को भितरघात से जूझना पड़ रहा है।इस सब के बीच डॉ विनय खंडेलवाल निर्विवाद रूप से बैटिंग कर रहे हैं। पिछले 20 वर्षों से शिक्षा के क्षेत्र में किए गए अपने कार्यों के दम पर वह मैदान में उतरे हुए हैं। बरेली और मुरादाबाद मंडल के हर जिले में उनको खुला समर्थन देने वाले शिक्षकों की संख्या बहुत ज्यादा है। विनय की सबसे बड़ी ताकत सीबीएसई और आईसीएसई के स्कूलों के साथ-साथ निजी तकनीकी और प्रबंधन संस्थान हैं। विनय ने इस बार इन सभी संस्थानों में जमकर वोट बनवाए हैं। इस कारण उन्हें वहां से खुला समर्थन भी मिल रहा है। सबसे बड़ी बात यह है कि विनय को किसी भी तरह की भितरघात का सामना नहीं करना पड़ रहा है। नया चेहरा होने के कारण उनके प्रति युवा वोटरों में काफी आकर्षण भी है। विनय की टीम ने जिस अंदाज में काम किया है उससे यह तय है कि उनके वोटर बूथ तक पहुंचकर वोट भी डालेंगे। इसका असर चुनाव परिणाम पर पड़ना तय है।।

बरेली से कपिल यादव

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