उत्तराखंड – जनपद पाैडी गढ़वाल के रिखणीखाल का मुख्यालय से लगा पशु चिकित्सालय में चिकित्सक नियुक्त होने के बाद भी नदारद है।गौरतलब है कि रिखणीखाल में तीन पशु चिकित्सालय बुलेखा,कोटडी व मूल ब्लॉक ऑफिस के निकट हैं साथ ही पांच पशुधन प्रसार केंद्र हैं । लेकिन आलम यह है कि रिखणीखाल केवल कागजों में चल ही रहा है और कहीं भी किसी को आपत्ति दर्ज करने की भी जहमत या फुरसत नहीं । जब पशु मेला या बड़ा बजट ठिकाने लगाना हो तो सारे डॉक्टरों की टीम सीवीओ व एडी सहित पहुंचकर हाजिरी दर्ज कर व लोगों को बहलाकर कर्तव्यों की इतिश्री कर ली जाती है ।पशुधन प्रसार केंद्रों में जहां बसड़ा वर्षों से रिक्त है वहीं बुलेखा भी खाली है अधिकांश कर्मचारी व चिकित्सक जुगाड़ तकनीक के चलते व्यवस्था में अन्यत्र हैं या तो आते ही नहीं हैं जब किसी को किसी पशु के इलाज में यदि गलती से बुला लिया जाता है तो “.खिला भी जावो पिला भी दो और रामनगर तक भिजवा भी दो वाली कहावत सम्मुख आती है फलस्वकूप जो अवशेष रह गया पशुधन है वह भी रहनुमाओं की फिरकापरस्ती व गैर जिम्मेदाराना हरकतों से अस्तित्व खो रही है ।कई जगह तो इतना तक गिर गये हैं कि स्टाफ होते हुये भी किसी ग्रामीण को चाबी दवा पकड़ाकर नौकरी बच रही है । इन सबके जिम्मेदार कौन ?
इंद्रजीत सिंह असवाल