उत्तराखंड:पलायन से मिल रहा है चोरों को रहनें का ठिकाना

*तल्या ख्वाल दूई आदिम, मल्या ख्वाल दूई आदिम
बीच क ख्वाल चोरूं क कमाल और धमाल

पौड़ी गढ़वाल-अब पलायन के कारण गांव खाली हो गये हैं। दर्जनों गांव सूने हैं तो अधिकांश गांवों में कुछ ही लोग बचे हैं। जो हैं वो भी या तो बीमार रहते हैं या बूढ़े हैं। ऐसे में गढ़वाल में चोरों की मौज है।ं हालांकि अधिकांश पलायन करने वाले अपने घरों से कीमती सामान साथ लेकर गये हैं, लेकिन चोरों के लिए फिर भी बहुत कुछ छोड़ गये हैं। कुछ नहीं है तो रहने की जगह तो है ही।
ऐसी ही एक घटना पौड़ी गढ़वाल के ज्वाल्पा देवी के निकट स्थित गांव निलाड़ा में घटी। गांव में तीन ख्वाल हैं। तल्या, मल्या और बीचो कू ख्वाल। जानकारी के अनुसार तल्या ख्वाल में दो बुजुर्ग रहते हैं और दो मल्या ख्वाल में। बीच के ख्वाल में कोई नहीं रहता। गत दिनों कुछ चोर बीच के ख्वाल में एक मकान जो कि कांता थपलियाल व उनके भाइयों का है। वहां घुस गये। कांता थपलियाल के पांच भाइयों का परिवार है और चार परिवार दिल्ली व एक कोटद्वार में रहता है। गांव के घर में ताला लगा है। इस बीच दो दिन पहले उनको गांव से फोन आया कि उनके घर में चोरी हो गयी है। मकान के सारे ताले टूटे हुए हैं। सबसे निकट कोटद्वार में सुबोध थपलियाल रहता है तो उसे गांव भेजा गया। वैसे तो मकान में बर्तनों व थोड़ी सी राशन के सिवाए कुछ नहीं था, लेकिन सुबोध ने देखा कि वहां रसोई गैस में चाय की केतली चढ़ी है। बीड़ी और शराब की खाली बोतल है। खाट पर बिस्तर लगा है। यानी कि चोर वहां अक्सर आते रहे और खाना खाते और सो जाते। चूंकि बर्तन ले जानी की व्यवस्था नहीं हुई होगी तो चोर झूठे बर्तन वहीं छोड़ गये। यानी चोरों के हाथ भले ही कुछ नहीं लगा, लेकिन रहने व खाने की व्यवस्था हो गयी। परिजनों के अनुसार चोर कम से कम तीन दिनों तक उनके घर में रहे। चूंकि गांव में बुजुर्ग हैं तो तीन दिन पहले उन्होंने देखा था कि ताले सलामत हैं। तो दिल्ली, दून में रहने वाले लोगों सावधान, गांव में चोर पहुंच चुके हैं। गांव में राजस्व पुलिस है, जो कई सालों तक केस नहीं सुलझा पाती है। अब ऐसी पुलिस किस काम की तो परिजनों ने शिकायत भी नहीं की।

– पौड़ी से इन्द्रजीत सिंह असवाल

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