आशा पूर्णिमा की पहल, खुद दवा खाकर गांव वालों को दिलाया सुरक्षा का अहसास

  • फाइलेरिया रोधी दवा खाने से कर रहे थे इंकार,      
  • दवा खिलाने के पहले बताती हैं दवाओं के फायदे

मोतिहारी/बिहार-फेनहारा प्रखंड के कलुपाकड़ गांव के कुछ परिवारों ने एमडीए के दौरान दवा खाने से इंकार कर दिया। समझाने की तमाम कोशिशों के बावजूद कुछ परिवार इस बात पर अडिग थे कि आशा जिस गोली को बांट रही हैं  उसे वह बिना बीमारी के कैसे खा लें ..उसे कुछ हो गया तो। उनकी  इस झिझक को तोड़ने के लिए ड्रग एडमिनिस्ट्रेटर पूर्णिमा ने लोगों के सामने दवा खाई, यह देख कलुपाकड़ के उस पूरे परिवार ने फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन किया, जिसका उन्होंने विरोध किया था। आशा पूर्णिमा के इस प्रयास की सभी तारीफ करते नहीं  थक रहे।
 
मिथक एवं भ्रांतियों को करती हैं दूर –

आशा पूर्णिमा कहती हैं ऐसे तो स्वास्थ्य के सभी कार्यक्रम मेरे लिए महत्वपूर्ण है, पर सर्वजन दवा सेवन के समय मेरी सक्रियता व्यक्तिगत तौर पर भी बढ़ जाती है। मैंने गांव में हाथीपांव के मरीजों को देखा है। इस बीमारी के कारण उनका जीवन हताशा भरा हो जाता है। कोई और इस हताशा को न झेले इसलिए दवा खिलाने के पहले लोगों को इसके फायदे के कारे में जरूर बताती हूं। , ताकि वह भी दूसरों को यह बात बता सके कि उन्होंने यह दवा क्यों खाई। 

घर घर दवा खिलाने का संकल्प- 

आशा कार्यकर्ता पूर्णिमा ड्रग एडमिनिस्ट्रेटर की  टीम संख्या 45 में हैं। वह कहती हैं कि फाइलेरिया के बारे में लोगों को जागरूक करना उन्हें  रास आ रहा है। उनका संकल्प है कि वह 23 फरवरी तक अपने पोषण क्षेत्र के हर उस घर तक पहुंचेगी जिन्हें दवा खानी है। दवा खिलाने के साथ वह नए फाइलेरिया रोगियों की तलाश में भी रहती हैं, ताकि उन्हें सभी उपचार भी मिल सके।

– बिहार से नसीम रब्बानी

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