उत्तराखंड : पहाड़ के बेरोजगार नौजवान जो एक उम्मीद के साथ आए हैं वे पहाड़ में अपनी आजीविका के लिए खेती व पशु पालन की ओर प्रेरित हो रहे हैं लेकिन जो सबसे बड़ी समस्या एक बाधा के रूप में सामने आ रही है वह है यहां के वन्य जीव – बाघ / बंदर/ लंगूर/ सुंवरों का आतंक…
पशुपालन में बकरी पालन , गाय पालन , खच्चर आदि और कृषि संबंधी रोजगार जिनमें- मशरूम/ ककड़ी/ संतरे/ माल्टा/ नींबू/ हल्दी/ अदरक/ उड़द (दाल)/ पिंडालू/ कद्दू/ गुदड़ी इत्यादि, श्रमिकों द्वारा जिन खाद्य पदार्थों (उत्तराखंड व्यंजनों) की खेती की जा रही है लेकिन पहाड़ी क्षेत्रों में बाघ / बंदरों/ लंगूरों/ सुंवरों के आतंक ने पूरी उम्मीदों में मानो पानी फेर दिया हो,
लोगों को मेहनत करने के बाद जिसका लाभ मिलना चाहिए था उससे वो वंचित रह जाते हैं
आज पहाड़ के गांवो में माल्टे के वृक्ष जो लकदक बने हुए हैं लेकिन बंदरों द्वारा पूरा तहस-नहस कर दिया जाता है।इसके लिए सरकार द्वारा कोई ठोस उपाय किए जाने चाहिए दुग्ध उत्पादन व खेती हमारे पहाड़ में आत्मनिर्भरता का जरिया है लेकिन यह तभी संभव हो पाएगा जब उनको बंदरों/ लंगूरों और सुंवरों से निजात मिल पाएगी।।
पौड़ी जे जयहरीखाल (सकमुंडा) में “रविंद्र लाल” जी जो वर्षों से गांव में दूध बेचकर अपनी आजीविका चलाते हैं कुछ दिनों पहले उनकी दुधारू गाय को सवेरे के समय गौशाला के पास बाघ द्वारा अपना निवाला बना लिया गया।
बाघ द्वारा मारे गए जानवर जिनमें – गाय/ बैल/ बकरी/ भेड़ शामिल है वन विभाग के पास इनके लिए ₹15,000 प्रति जानवर देने का प्रावधान है।
लेकिन जब ब्लॉक प्रमुख दीपक भंडारी जी ने विभाग से इस विषय पर जानकारी ली गई तो विभाग के संबंधित अधिकारियों द्वारा कहा गया कि वर्तमान में उनके पास कोई पैसा नहीं है, विभाग द्वारा यह कहा गया कि वे दस्तावेजों को तथा पोस्टमार्टम की रिपोर्ट को जमा करवा दें जब विभाग के पास धनराशि आएगी तो संबंधित व्यक्ति को उपलब्ध करवा दी जाएगी।
अब प्रश्न यह खड़ा होता है कि :-
जिस परिवार के बच्चों का पालन पोषण वर्षों से उस गाय पर निर्भर था गाय के दूध को बेचकर वे अपना जीवन यापन करते थे जो व्यक्ति प्रतिदिन 8-10 किलो दूध रोज बाजार व घरों में जाकर बेचते था आज वह व्यक्ति बेरोजगार हो गया है उसके पास कोई काम नहीं है वो क्या करें?
अभी विगत 8 महीने पहले की बात है विकासखंड जयहरीखाल के ग्राम (कांडा तल्ला) में एक खच्चर को बाग द्वारा शिकार बना लिया गया उस व्यक्ति को अभी तक मुआवजा नहीं मिल पाया उस व्यक्ति की आजीविका का साधन एकमात्र वो खच्चर था जिससे वह माल ढोने का कार्य गांव-गांव जाकर तथा दुकानों में किया करता था जिससे वह अपने परिवार का पालन पोषण करता था इस विषय पर जब रेंज अफसर को अवगत कराया गया तो उनके द्वारा भी यह कहा गया कि अभी उनके पास वर्तमान में कोई बजट मौजूद नहीं है!
ब्लॉक प्रमुख दीपक भंडारी जी ने कहा कि में एक राज्य आंदोलनकारी होने के नाते कह रहा हूं कि इस राज्य की मांग इसलिए की गई थी कि यहां के पहाड़ी जनजीवन को यहां के लोगों को आत्मनिर्भर बनाया जाए प्रशिक्षित किया जाए लेकिन जो व्यक्ति AC हॉल में बैठे हुए हैं मुझे ऐसा लगता है कि वे लोग इन परिस्थितियों से अनभिज्ञ है, आप लोग बड़ी-बड़ी योजनाएं बना रहे हैं, स्वरोजगार की बात कर रहे हैं, खेती की बात कर रहे हैं लेकिन खेती तभी तो संभव हो पाएगी जब आप इन जंगली जानवरों से निजात दिला पाएंगे।
क्षेत्रीय भ्रमण के दौरान कई लोगों द्वारा विगत कुछ समय से लगातार इस बात पर शिकायत थी कि क्षेत्र में (बंदर, लंगूर और सूअरों) का आतंक दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है जिस कारण आय दिन फसलों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है इस विषय की गंभीरता को देखते हुए मैंने जिला प्रभागीय वनाधिकारी को इस विषय पर पत्र लिखा मेरे द्वारा प्रभागीय वनाधिकारी (कोटद्वार) से दूरभाष पर वार्ता भी की गई जिस पर प्रभागीय वनाधिकारी DFO कोटद्वार द्वारा कहा गया कि इस समय उनके पास मात्र ₹25,000 का बजट है, लेकिन इस बात के लिए जब पता लगाया गया कि जिससे यह ज्ञात हुआ कि एक बंदर को पकड़ने के लिए ₹500 तक का खर्चा आता है तो ₹25,000 में कितने बंदरों को पकड़ पाएंगे??
जिसके पश्चात जिलाधिकारी (पौड़ी) से दूरभाष पर वार्ता की गई और उनको इस स्थिति से अवगत करवाया गया। लैंसडाउन माननीय विधायक जी को भी इस विषय के लिए दूरभाष पर अवगत करवाया गया कि अपनी विधायक निधि से लाख रुपए आप विकासखंड (जयहरीखाल) के लिए करवा दीजिए और हम पंचायत के प्रतिनिधि भी जो संभव मदद हो सकेगी हम वह पैसे पंचायत से देने के लिए भी तैयार है। इसी विषय को लेकर दूरभाष पर वार्ता करने के लिए उत्तराखंड सरकार माननीय वन मंत्री डॉ “हरक सिंह रावत” जी को फोन मिला रहा हूं मगर वह फोन नहीं उठा रहे हैं उनके OSD “विनोद रावत” जी को भी मैंने दूरभाष पर अवगत कराना चाहा मगर वह भी अपना फोन नहीं उठा रहे हैं जिस कारणवश मेरी उनसे बात नहीं हो पाई।
मैं मीडिया के माध्यम से माननीय वनमंत्री जी, इस प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री जी, व संबंधित अधिकारीगण के कानों तक अपनी बात को पहुंचाना चाहता हूं कि यदि आप अगर सही मायने में इस उत्तराखंड राज्य की हितेषी हैं, यदि आप सही ढंग से बेरोजगार युवाओं को रोजगार देने की बात करते हैं, यदि आप हम पहाड़ियों के लिए आत्मनिर्भरता की बात करते हैं तो आप कुछ ना करें कोई लोन की स्कीम ना करो बस लेकिन हमें बंदरों/ लंगूरों/ सुंवरों/ बाघों आदि वन्य जीव-जंतु जो खेती व पशुओं को नुकसान पहुंचाने का काम करते हैं इनसे निजात दिलवा दीजिए।
मैं यह समझता हूं कि यदि सरकार इसकी इजाजत दे और थोड़ा हाथ हमारे किसान भाई-बंधुओं की तरफ बढ़ाएं तो इससे एक तरफ पलायन जो बहुत बड़ी समस्या हमारे उत्तराखंड के लिए है और दूसरी तरफ स्वरोजगार की दृष्टि से हमारे उत्तराखंडी श्रमिकों को आत्मनिर्भरता की ओर प्रोत्साहन करने वाला कदम साबित होगा।
मैं निश्चित रूप से यह कह सकता हूं जिस दिन हमें इन वन्यजीवों से निजात मिल जाएगी उस दिन हमारे पहाड़ के बेरोजगार, हमारी मातृ शक्ति, हमारे नौजवान साथी स्वत: ही आत्मनिर्भर हो जाएंगे।
हर व्यक्ति को साथ लेकर एक सुदृढ़, समृद्ध एवं खुशहाल उत्तराखंड का निर्माण हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए…
दीपक भंडारी, ब्लाक प्रमुख
विखं – जयहरीखाल (पौड़ी गढ़वाल)
– पौडी से इन्द्रजीत सिंह असवाल