बरेली। तेज हवा और मूसलाधार बारिश ने धान, बाजरा, उड़द की फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया है। खेतों में खड़ी और कटी पड़ी फसलें पानी में डूबकर सड़ने लगी है। जिससे अन्नदाताओं के माथे पर चिंता की गहरी लकीरें खिंच गई हैं। कई किसानों के खेतों व ट्रालियों में रखी फसलें भी भीग गईं और आर्थिक संकट में फंसे किसान अब प्रशासन से तात्कालिक मदद व मुआवजे की मांग कर रहे है। वही आंवला मे मंगलवार सुबह हुई बेमौसम बारिश और तेज हवाओं ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया। आंधी और मूसलाधार बारिश से धान की तैयार फसलें खेतों और ट्रालियों में भीगकर खराब हो गई। अतरक्षेणी के संजीव सिंह, रामनगर के युधिष्ठिर सिंह, मनौना के रामदुलार मौर्य और मोतीपुरा के प्रमोद मौर्य ने बताया कि धान, बाजरा, उड़द, मिर्च, तिल, फूलगोभी, मेथी, तोरई जैसी फसलें बुरी तरह प्रभावित हुई है। लगभग 40 प्रतिशत धान की कटाई पूरी हो चुकी थी लेकिन खेतों में पड़ी फसल पानी मे भीगकर सड़ने लगी है। खेतों में गिरी धान की बालियों के काले पड़ने का खतरा बढ़ गया है। जिससे बाजार मूल्य घटेगा। वही शेरगढ़ क्षेत्र मे भी बारिश ने तबाही मचा दी। तेज हवा और मूसलाधार बारिश से किसानों की गन्ना और धान की फसलें जलमग्न हो गई। नगरिया कलां गांव के रमेश चंद्र, शब्बीर अली, अशफी लाल, मोहनलाल, भगवान दास और तोताराम की कटी पड़ी फसल खेतों में डूब गई। किसान पूरे दिन धान को पानी से निकालने में जुटे रहे। मोहनलाल के धान की कंपाइन मशीन में फसल फंस गई, जबकि चौधरी राजू सिंह और रमेश चंद्र राठौर के धान ट्रैक्टर ट्राली मे भीग गए। राठौर ने बताया कि उनकी पांच बीघा में लगी फसल पूरी तरह जलमग्न हो गई है। किसानों ने प्रशासन से आर्थिक मुआवजे की मांग की है। वही नवाबगंज मे भी स्थिति गंभीर रही। मूसलाधार बारिश से खेतों में खड़ी धान की फसल सड़ने लगी है। किसानों का कहना है कि एक और ओसवाल चीनी मिल का भुगतान बकाया है। दूसरी ओर बारिश ने धान की फसल भी नष्ट कर दी। किसानों ने प्रशासन से तुरंत मदद और बकाया भुगतान की गुहार लगाई है। वही क्योलड़िया क्षेत्र में तेज हवा और बारिश से धान की खड़ी और कटी दोनों फसलें जलमग्न हो गई। मेथी नवदिया के राम सिंह और क्योलड़िया के रविंदर गंगवार सहित कई किसानों के खेतों में पानी भर गया है। किसान लगातार खेतों से पानी निकालने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन भीगी फसल सड़ने की कगार पर है। बेमौसम बारिश से पूरे क्षेत्र मे किसानों की कमर टूट गई है। अन्नदाता अब सरकार और प्रशासन की मदद की राह देख रहे हैं ताकि उनकी बर्बाद हुई फसलों का कुछ मुआवजा मिल सके।।
बरेली से कपिल यादव