पूर्णिया/बिहार- भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, लालू नगर , मधेपुरा बिहार । जरा सोचिए छात्र के जेहन में ये नाम सुनने से क्या आता है अगर सच्चाई मानिये तो छात्र की रूह कांप जाती है । बिहार का जाना माना विश्वविद्यालय जो अपने नाम और काम से पूरे देश मे गिना और जाना जाता है । यही वो विश्वविद्यालय है जहाँ छात्र अगर 5 साल में भी स्नातकन की डिग्री पा लेते है तो अपने आप को भाग्यवान समझते है। लेट लतीफे वाले विश्वविद्यालय और शिक्षा के नाम पर जीरो, पूरे देश मे अपनी छाप छोड़ चुका है। छात्र करे तो क्या करे । पूरे कोशी सीमांचल में मात्र एक ही विश्वविद्यालय होने के कारण छात्र के पास कोई दूसरा विकल्प भी तो नही है। चाहे किसी की भी सरकार रही हो जदयू की या फिर राजद किसी ने इस विश्वविद्यालय की ओर सुधार के लिए गौर से नही देखा , और दिन पर दिन इसकी हालत बिगड़ती जा रही है। बिगड़ती हालत को लेकर छात्र और अभिभावक दोनों परेशान रहते है।
अब सोचने वाली बात यह कि अगर छात्र को स्नातक की डिग्री 5 से 6 साल में मिलती है तो क्या वो किसी अच्छी सरकारी नौकरी के लिए आवेदन भर सकता है । क्या वो सालाना होने वाले UPSC BPSC, बैंक PO की प्रतियोगिता परीक्षा में भाग ले सकता है । यही वो वजह जो बिहार और कोशी , सीमांचल के छात्र पीछे छूट जाते है । सिर्फ BNMU की ही नही बिहार के लगभग सभी विश्वविद्यालयों की यही हाल है चाहे वो दरभंगा का ललित नारायण मिश्रा विश्वविद्यालय हो या गया का मगध विश्वविद्यालय , या फिर पटना विश्वविद्यालय सभी का आलम एक जैसा है।
इस बिगड़ती हालत को देख कर कितने ही छात्र को मजबूरी में या तो अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ जाती है या फिर जब तक उनके हाथ मे स्नातक की डिग्री हाथ आती है तो वो किसी काम नही रह जाता और छात्र बेरोजगारी की मार झेलने के लिए मजबूर हो जाते है। बेरोजगारी देश और समाज की सबसे बड़ी समस्या है। बेरोजगारी के कारण कितने ही छात्र या तो अपराध की दुनिया मे कदम रख देते या फिर आत्महत्या करने पर मजबूर हो जाते है। पर इसकी परवाह न तो राज्य सरकार को है और न ही शिक्षा विभाग के अधिकारीयों को । चुनाव के समय लंबी लंबी भाषण मारकर कर लोग सत्ता में बैठ तो जाते हैं और चुनाव जीतने के बाद किये वादे न जाने कहाँ गुम हो जाते है। देश लुट रहा है पर शायद कोई इसे देख नही पा रहा है , कहीं धर्म के नाम पर तो कही शिक्षा के नाम पर कही गरीब के नाम पर तो कही गरीबी के नाम पर , कही महंगाई के नाम पर तो कही सुरक्षा के नाम पर , जिसको जहाँ और जैसा मौका मिला बस लूटने में लगे पड़े हैं। चारो तरफ लूट मची है ।
-पूर्णिया से शिव शंकर सिंह की रिपोर्ट
अपनी दुर्दशा के लिए पूरे देश में बनाई एक अलग पहचान
