मुज़फ्फरनगर – कई विभागीय अधिकारीयों व कर्मचारियों की मिलीभगत के चलते नगर में हो रही अवैध रूप से चलने वाले वाहनों द्वारा डग्गामारी की जा रही है । सरकार को राजस्व का भारी नुकसान हो रहा है ।इसी के चलते हर रोज सवारियां बैठाने को लेकर आपस में झगड़े भी होते है।
जी हाँ जनपद मुज़फ्फरनगर में कई विभागों जैसे परिवहन विभाग, ट्रैफिक पुलिस ,स्थानीय पुलिस और यहां तक की रोडवेज अधिकारियों कर्मचारियों की मिलीभगत के चलते प्रदेश सरकार को राजस्व की बड़ी हानि पहुंचाई जा रही है जिसका सीधा साधा उदाहरण नगर क्षेत्र से अवैध रूप से डग्गामारी वाहनों द्वारा सवारियां भरकर ले जाना है।
विश्वस्त सूत्रों के अनुसार जनपद मुज़फ्फरनगर के महावीर चौक , जिला अस्पताल तिराहा सहित शामली बस स्टेंड आदि जगहों से हर रोज सम्बंन्धित विभागीय अधिकारीयों कर्मचारियों की मिली भगत के चलते अवैध रूप से और बिना परमिट की बसों, अवैध रूप से और बिना कागजातों के चलने वाली जीप /मैक्स ,बोलेरों हर रोज दिन निकलते ही सवारियों को भेड़ बकरियों की तरह ठूंस ठूंस कर मु नगर से मेरठ,हरिद्वार,देहरादून,लक्सर,रूड़की सहारनपुर ,शामली करनाल तक दौड़ रहीं है ।
ऐसा नही की इनके चलन में सम्बंधित सभी विभागों के अधिकारीयों कर्मचारियों को पता न हो
पता सभी को है लेकिन सभी ऊपर नीचे का नाम लेकर बात से अनजान बना जाते है कार्यवाही की बात कर की जाए तो सभी एक दूसरे विभाग पर कार्यवाही करने की बात कहते हैं।
बता दें इन वाहनों के चलने से जहां एक तरफ रोडवेज विभाग को भारी नुक्सान हो रहा है तो वहीं प्रदेश सरकार को भी कुछ कम नुक्सान नही हो रहा ।जो रुपया सरकार के पास पहुंचना चाहिए वह सब इन्हें चलवाने वालों की जेबों में जा रहा है ।वाहनों में सवारियों बैठाने को लेकर हर रोज झगड़े होते हैं।
बता दें इन सभी जगहों पर अक्सर सवारियों को बैठाए जाने को लेकर होते रहते है झगड़े भी और बात सिर फुटवल तक भी पहुँच जाती है यहीं तक अगर बात खत्म हो जाए तो गनीमत कहिए ?
लेकिन यहां तो सवारियों के साथ छींटा कशीं और चोरी ,लूट जैसी वारदातें भी कई बार हो चुकी हैं।अक्सर गाड़ियों में नही होते कागजात प्रेस और दबंगों के नाम से डराते हैं सवारियों को।
बताते चले सबसे अहम बात तो यह है की अक्सर इन गाड़ियों में न तो जरुरी कागजात होते है और न ही चालकों के पास वाहन चलाने सम्बंधित लाइसेंस (हैवी लाइसेंस) जब कभी इन वाहनों का कहीं अगर ऐक्सिडेंट हो जाए तो वाहन चालक वाहन को मोके पर ही छोड़कर या यो फरार हो जाते हैं या फिर दूसरे वाहन स्वामियों (जिससे वाहन की टक्कर आदि हो जाए) पर प्रेस लिखा होने का राॅव झाड़ते हैं।बड़ा सवाल जब सभी प्रकार के वाहनों पर सभी तरह के कानून लागू होते है तो आखिर इन डग्गामारी वाहनों पर कानून लागू क्यों नही होते? क्यों इन वाहनों में क्षमता से अधिक सवारियां बैठाई जाती है ? क्यों इन वाहनों में जरुरी कागजात नही रखे जाते हैं? क्यों इन वाहन और इन्हें चलाने वाले चालकों की कागजात सम्बंधित जाँच नही होती है ?।
जिलाधिकारी से अपील की जाती है कि क्यों न की जाए ऐसे डग्गामारी वाहनो के खिलाफ कार्यवाही जोकि जनहित में जरुरी हैं ।
– मुजफ्फरनगर से भगत सिंह