अधिकारियों से सांठगांठ कर रेल सिग्नल विभाग मे लाखों की हेराफेरी, ठेकेदार गिरफ्तार

बरेली। पूर्वोत्तर रेलवे के इज्जतनगर मंडल में एक बार फिर रेल अधिकारियों से सांठगांठ कर रेलवे को नुकसान पहुंचाने का मामला सामने आया है। रेलवे सुरक्षा बल व क्राइम ब्रांच की टीम ने सिग्नल निर्माण विभाग में लाखों की हेराफेरी पकड़ी है। अधिकारियों ने ठेकेदार के साथ मिलकर यह गड़बड़झाला किया था। प्रथम दृष्टया जांच में 20 लाख से अधिक का खेल पकड़ा गया है। इस मामले में गोरखपुर के आरोपी ठेकेदार को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है जबकि कई अधिकारियों पर कार्रवाई की तैयारी भी चल रही है। बरेली सिटी आरपीएफ थाना में मुकदमा दर्ज किया गया है। इज्जतनगर रेल मंडल के वरिष्ठ मंडल सुरक्षा आयुक्त ऋषि पांडेय ने बताया कि रेलवे के सिग्नल निर्माण विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों से मिलीभगत कर लाखों की गड़बड़ी करने के आरोपित ठेकेदार गोरखपुर निवासी अमरेंद्र कुमार सिंह को गिरफ्तार किया है। वह अधिकारियों की मदद से सरकारी दस्तावेजों में हेरफेर कर करीब 20 लाख रुपये की रेलवे संपत्ति गबन कर चुका है। ठेकेदार अमरेंद्र कुमार सिह रेलवे से अनुबंध के आधार पर सिग्नल वर्क का काम करता है। बताया कि ठेकेदार रेलवे सिग्नल निर्माण विभाग के अधिकारियों से मिलकर काम पूरा होने के बावजूद टेंडर बंद नहीं कराता था। निर्माण कार्य हैंडओवर करने के बावजूद डिमांड नोट के जरिये रेलवे स्टोर से रेल संपत्ति अपने पक्ष में जारी करवा लेता था। हेरफेर कर पार किए सिग्नल सामान दूसरी रेलवे सिग्नल साइट पर इस्तेमाल होते थे। वरिष्ठ मंडल सुरक्षा आयुक्त ने बरेली सिटी आरपीएफ इंस्पेक्टर नरेश कुमार मीणा, उप निरीक्षक दीपक कुमार कश्यप और क्राइम ब्रांच आरपीएफ के सत्येंद्र प्रताप सिंह को जांच में लगाया। एक सप्ताह की जांच में खेल की सारी परतें खुल गईं। रेलवे के सिग्नल निर्माण विभाग में 20 लाख से अधिक खेल कागजों में पकड़ा गया। जांच टीम ने ठेकेदार अमरेन्द्र कुमार सिंह निवासी कौशिक निवासी आदित्यपुर बशारतपुर पूर्व गीता वाटिका गोरखपुर को हिरासत में लेकर पूछताछ की तो ठेकेदार सिग्नल निर्माण का हिसाब नहीं दे सका। ठेकेदार ने जांच टीम को बताया कि रेलवे से अनुबंध के आधार पर सिग्नल वर्क का कार्य किया जाता है। कार्य पूर्ण होने के बाद भी जानबूझकर टेंडर क्लोज नहीं किया जाता था। रेलवे सिग्नल निर्माण विभाग के अधिकारियों से मिलकर काम पूर्ण एवं हैंडओवर होने के बाद भी डिमांड नोट पर रेलवे स्टोर से रेल संपत्ति अपने पक्ष में जारी करवा लेते थे। स्टोर से सामान ले जाने वाले वाहन का नंबर फर्जी लिखते थे। कार्य पूरा होने के काफी समय बाद थोड़ा बहुत सामान जमा कर अनुबंध पूर्ण दिखाकर बिल पास हो जाते थे। जांच में वाहनों के नंबर फर्जी मिले है। रेल सिग्नल विभाग के कई कर्मचारियो – अधिकारियों पर भी शक की सुई घूम रही है। रिटायर हो चुके कुछ कर्मचारियों को भी जांच के घेरे में लिया जा सकता है। सिग्नल निर्माण विभाग के पिछले 10 साल के रिकॉर्ड खंगाले जा रहे है।।

बरेली से कपिल यादव

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *