*यौम-ए-रज़ा के मौक़े पर अदनान मियाँ बने आरएसी के राष्ट्रीय अध्यक्ष
*बीस बरस की ख़िदमात के मद्देनज़र हज़रत अफ़रोज़ मियां ने नवाज़ा
*सभी इकाइयों को नए राष्ट्रीय अध्यक्ष का हर निर्देश मानने की ताकीद
बरेली – नबीरा-ए-आला हज़रत मौलाना अदनान रज़ा क़ादरी को ऑल इंडिया रज़ा एक्शन कमेटी (आरएसी) का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने पर आरएसी पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं ने आज मुख्यालय “बैतुर्रज़ा” पर ज़ोरदार इस्तक़बाल किया। उन्होंने एक-दूसरे का मुँह मीठा कराके ख़ुशी का इज़हार किया। सुबह से शुरू हुआ यह सिलसिला देर शाम तक जारी रहा।
कल यौम-ए-रज़ा यानि आला हज़रत की विलादत का मुबारक दिन ऑल इंडिया रज़ा एक्शन कमेटी (आरएसी) के लिए एक बड़ी ख़ुशख़बरी लेकर आया। स्थापना से लेकर आज तक राष्ट्रीय अध्यक्ष की ज़िम्मेदारी संभाल रहे हज़रत अफ़रोज़ रज़ा क़ादरी साहब ने अपने साहिबज़ादे मौलाना अदनान रज़ा की 20 साल की ख़िदमात के मद्देनज़र उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद सौंपा। यह ख़बर देर रात ही सोशल मीडिया के माध्यम से पूरे देश में पहुँच गई और उसके बाद मुबारकबाद का सिलसिला शुरू हो गया। देश के कोने-कोने से लोग फ़ोन करके और सोशल मीडिया के ज़रिए मुबारकबाद देते रहे। इतवार सुबह से आरएसी मुख्यालय “बैतुर्रज़ा” पर पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं के पहुँचने का सिलसिला शुरू हो गया। सभी ने राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अदनान रज़ा क़ादरी की गुलपोशी की और उन्हें मुबारकबाद दी। मुबारकबाद का यह सिलसिला देर शाम तक जारी रहा।
इस मौक़े पर राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अदनान रज़ा क़ादरी ने कहा कि हम सभी को बुज़ुर्गों की रविश पर चलते हुए मसलक-ए-आला हज़रत पर साबित क़दम रहते हुए तमाम ज़िम्मेदारियाँ निभानी हैं। उन्होंने कहा कि स्थानीय स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक सभी इकाइयों को और भी मुस्तैदी से काम करने के लिए कमर कस लेनी चाहिए ताकि आरएसी को और ज़्यादा मज़बूत बनाया जा सके।
बता दें कि बीस साल पहले जब इस संगठन की स्थापना हुई तब हुज़ूर ताजुश्शरीआ हज़रत अख़्तर रज़ा ख़ाँ साहब अलैहिर्रहमा ने इसका नाम रज़ा एक्शन कमेटी रखा था। हज़रत अफ़रोज़ रज़ा क़ादरी ने कुल हिन्द सदर यानि राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की ज़िम्मेदारी संभाली थी। नबीरा-ए-आला हज़रत मौलाना अदनान रज़ा क़ादरी को राष्ट्रीय इकाई का उपाध्यक्ष बनाया गया था और उन्होंने स्थापना के दिन से ही संगठन को मज़बूत बनाने के लिए क़दम उठाए। कुछ ही समय में आरएसी की इकाइयां प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश में स्थापित हो गईं और यह संगठन ऑल इंडिया रज़ा एक्शन कमेटी के रूप में देश-विदेश में जाना-पहचाना गया।
नबीरा-ए-आला हज़रत मौलाना अदनान रज़ा क़ादरी ने ग़रीबों-ज़रूरतमंदों की मदद पर विशेष ध्यान दिया। इसका ऐसा असर हुआ कि झूठे मुक़दमों में फंसाए गए लोगों को ज़ुल्म से बचाना आरएसी की पहचान बन गई। इसके अलावा ज़रूरतमंदों की मदद भी बढ़-चढ़कर की गई। ईद मीलादुन्नबी, ग्यारहवीं शरीफ़, सरकार ग़रीब नवाज के उर्स, उर्स-ए-आला हज़रत और तमाम ऐसे मुबारक मौक़ों पर भी ज़रूरतमंदों की मदद का पहलू सबसे ज़्यादा नुमाया रहा। कोविड के दौरान आरएसी ने बिना किसी भेदभाव के सभी तक मदद पहुँचाई।
इतना ही नहीं, पैग़म्बर-ए-इस्लाम और कलाम-ए-पाक पर हमले हुए तो मौलाना अदनान रज़ा क़ादरी के नेतृत्व में आरएसी का एक अलग रूप देखने को मिला और हर जुल्म के खिलाफ क़ानून के दायरे में रहते हुए बड़े विरोध प्रदर्शन किए गए, जिनका असर देश-विदेश तक देखा गया। इसके अलावा भी मौलाना अदनान रज़ा क़ादरी ने तमाम समाजी पहलुओं पर नज़र रखते हुए संगठन को आगे बढ़ाया। इन तमाम ख़िदमात के मद्देनज़र संस्थापक राष्ट्रीय अध्यक्ष हज़रत अफ़रोज़ रज़ा क़ादरी ने यौम-ए-रज़ा के मुबारक मौक़े पर उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से नवाज़ा।
मौलाना अदनान रज़ा क़ादरी को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने पर मुफ़्ती उमर रज़ा, मौलाना क़मरुज़्ज़माँ, हाफिज इमरान रज़ा मुशाहिद रफ़त, अब्दुल हलीम ख़ाँ, अब्दुल लतीफ़ क़ुरैशी, ताज ख़ाँ, राजू बाबा, रजब अली साजू, हनीफ़ अज़हरी, मुज़फ़्फ़र अली, ज़ाहिद अली, समीर रज़ा, शाहबाज़ रज़ा, काशिफ़ रज़ा, साजिद रज़ा, फ़ुरक़ान रज़ा, उवैस ख़ाँ, शाहनवाज़ रज़ा, इरशाद रज़ा, मुहम्मद चाँद, यासीन गद्दी, सय्यद मुशर्रफ़ हुसैन, मुहम्मद अहमद, सय्यद रिज़वान, सलमान रज़ा, अज़ीम हुसैन, फ़रदीन हुसैन, अज़ीज़ रज़ा, मुहम्मद मुईन, मुहम्मद माहिर, मौलाना सलीम रज़ा, मुहम्मद दानिश, सलीम मिर्ज़ा, मुहम्मद रिज़वान, हाफ़िज़ आरिफ़, मुजाहिद रज़ा, शाहिद रज़ा, साकिब रज़ा, तहसीन रज़ा, सय्यद मेराज, आमिर रज़ा, मुईद रज़ा, फ़ैज़ान रज़ा, अज़हर रज़ा, अमीक रज़ा सहित बड़ी तादाद में लोगों ने मुबारकबाद पेश की।
– बरेली से तकी रज़ा