फतेहगंज पश्चिमी, बरेली। साल का पहला सूर्य ग्रहण लग चुका है। इस खगोलीय घटना को ज्योतिर्विदों ने महा ग्रहण का नाम दिया है। उनका मानना है कि सूर्य ग्रहण पर ऐसे कई महा संयोग बन रहे हैं जो आज से तकरीबन 900 से पहले बने थे। इस ग्रहण में सूर्य का संयोग राहु, बुध और चंद्र के साथ बन रहा है।इस ग्रहण में सूर्य का मंगल से भी संबंध होगा। 900 साल बाद 21 जून को दुर्लभ सूर्य ग्रहण सुबह सवा नौ बजे शुरू हुआ। देर रात हुई बारिश के बाद सुबह तक बूंदाबांदी होती रही और सुबह से ही आकाश में बादल छाए रहे। सवा नौ बजे पहले से ही अधिकांश लोग घर में कैद हो गए। देवालयों के कपाट शनिवार रात से ही बंद रहे। सूर्य ग्रहण का ही असर रहा कि सड़कों पर लोगों की भीड़ कम नजर आई। बालाजी ज्योतिष संस्थान के पंडित राजीव शर्मा ने बताया कि सूर्यग्रहण का आरंभ सुबह 9:16 बजे से हुआ। लेकिन स्पर्श का समय हर शहर में अलग-अलग है। बरेली में सूर्य ग्रहण सुबह 10:24 से आरंभ हुआ और दोपहर 1:54 तक प्रभावी रहा। उन्होंने बताया कि यह सूर्य ग्रहण करीब 900 साल बाद घटित हुआ। सूर्य ग्रहण आरम्भ होने के पहले ही लोगों ने स्नान कर पूजन किया। ग्रहण काल से पहले लोगों ने भोजन कर लिया। पंडित राजीव शर्मा ने बताया कि ग्रहण काल मे कुछ खाना नही चाहिए। पर बच्चों और गर्भवती महिलाओं पर यह प्रतिबंध लागू नही होते हैं। लोगों ने सूर्यग्रहण काल में भगवान सूर्य उपासना की। आदित्य हृदय स्तोत्र,सूर्याष्टक स्तोत्र आदि का पाठ किया। ग्रहण में गंगा स्नान करने से पुण्य लाभ की प्राप्ति होती है। ग्रहण के आरंभ और ग्रहण पूर्ण होने पर भी स्नान करना चाहिए। मान्यता है कि जो व्यक्ति मोक्ष के बाद स्नान नहीं करता है, उस पर तब सूतक लगा रहता है, जब तक दूसरा ग्रहण नहीं आ जाता। ग्रहण काल में किया गया अनुष्ठान फलदायी होता है।
देवालयों के कपाट रहे बंद
शहर व देहात के सभी देवालयों के कपाट रात में बन्द हो गए। पंडित राजीव शर्मा ने बताया कि सूर्य ग्रहण के समय मंदिरों में पूजन वर्जित होता है। शनिवार रात में सूतक शुरू होते ही मन्दिरों के पट बन्द कर दिए गए। बाबा त्रिवटीनाथ मंदिर, बाबा अलखनाथ मंदिर, चौरासी घंटा मंदिर, श्री हरि मंदिर, श्री बांकेबिहारी मंदिर, कस्बे के मढ़ी मंदिर ठाकुरद्वारा मंदिर समेत अन्य देवालय के पट बंद रहे। मंदिर कमेटियों के आग्रह पर ग्रहणकाल के दौरान भक्त भजन, कीर्तन किया।
गरीबो को लोगों ने दिया दान
ग्रहण के बाद लोगों ने गरीबों को दान दिया। कई लोगों ने मंदिरों के सामने बैठे गरीबों को खाना, राशन, फल, मिठाई दी। छाया दान, स्टील की कटोरी में तेल भरकर अथवा कासे की कटोरी में घी भरकर उसमे चांदी का सिक्का डालकर अपना मुंह देखकर मंत्र पढ़ा और ग्रहण समाप्ति पर वस्त्र, फल व दक्षिणा सहित ब्राह्मण को दान दिया।।
बरेली से कपिल यादव