*सज्जादानशीन मुफ़्ती असजद मियां ने अदा की रस्म
*फरमान मियां की क़यादत में निकले परचमी जुलूस
बरेली- सुन्नी बरेलवी मुसलमान के सबसे बड़े मजहबी रहनुमा ताजुश्शरिया मुफ्ती अख्तर रज़ा खां (अजहरी मियाँ) का दो रोज़ा उर्स का आगाज़ परचम के जुलूस से आगाज़ हो चुका है। उर्स की सभी रस्में दरगाह ताजुशारिया के सज्जादानशीन काज़ी-ए-हिन्दुस्तान मुफ्ती मोहम्मद असजद रज़ा खां कादरी की सरपरस्ती में अदा की जायेंगी। आज बाद नमाज़ ए फजर दरगाह ताजुशरिया पर कुरानखानी व नात मनकबत की महफ़िल सजाई गई। दिन भर दरगाह आला हजरत और दरगाह ताजुशरिया पर जायरीनों का हाजरी का सिलसिला चलता रहा। जमात रज़ा ए मुस्तफा के राष्ट्रीय महासचिव फरमान हसन ख़ान फरमान मिया की क़यादत में परचम कुशाई की रस्म बाद नमाज़ ए असर शाहबाद स्थित मिलन शादी हाल से सैय्यद कैफ़ी के निवास से शुरू हुआ। जो अपने विभिन रास्तों से शुरू होता हुआ दरगाह ताजुशरिया पहुंचा वहा पर मुफ्ती असजद मियां के हाथों परचम की रस्म अदा की गई। काज़ी-ए-हिन्दुस्तान जानशीन-ए-हुज़ूर ताजुश्शरिया सज्जादानशीन मुफ़्ती असजद रज़ा ख़ान (असजद मियां) से देश-विदेश से आये उलेमा व अकीदतमंदों की मौजूदगी में अपने हाथों अदा कर दुनियाभर में अमन-ओ-सूकून की दुआ की। रात में महफ़िल-ए-मिलाद के बाद शोहर व उलेमा की महफ़िल सजाई गई। देश-विदेश के लाखों ज़ायरीन अब तक बरेली पहुँच चुके है। उर्स की सभी तकरीबात सज्जादानशीन व काज़ी-ए-हिंदुस्तान मुफ़्ती असजद रज़ा क़ादरी(असजद मियां) की सरपरस्ती अदा की गई। *उलेमा ने सज्जादानशीन मुफ्ती असजद मियां की ओर से पैगाम दिया कि आज के इस दौर में मुसलमान अपने बच्चों को बचपन से ही इस्लाम के बुनियादी अकाईद व मसाइल सिखाए। बच्चे सादा कागज़ के मानिद होते है उनके ज़हन और दिमाग में वही बाते बिठाई जाए जो उनकी दुनिया व आख़िरत के लिए फायदेमंद हो। अच्छा माशयरा(समाज) बनाने के लिए अपनी औलादों की तालीम और तरबियत का वही तरीका अख़्तियार करे जो शरीयत की नज़र में जायज़ हो। उनके दिलों में अल्लाह की अज़मत और उसके रसूल की मुहब्बत और बुजुर्गो की ज़िंदगी पढ़ाई जाए। बेटे और बेटियों को बराबर का दर्ज़ा दे। बच्चें जब बालिग हो जाए तो बेहतर रिश्ता देखकर उनका निकाह कर दे। बच्चों के कदम बहकने की बड़ी वजह शादियों में देरी है। वहीं निकाह को आसान बनाया जाए। फिजूलखर्ची से बचते हुए सादगी के साथ निकाह करे। आपसी सुन्नी खानकाही इत्तेहाद पर ज़ोर दे।* दिन में तीन परचमी जुलूस निकाले गए। जिसकी क़यादत काजी ए हिंदुस्तान के दामाद जमात रज़ा ए मुस्तफा के राष्ट्रीय महासचिव फरमान हसन ख़ान फरमान मिया ने की कोहाड़ापीर से सय्यद कैफ़ी अली के निवास से,दूसरा आज़म नगर से मोहम्मद साजिद व तीसरा सैलानी से समरान खान के निवास से निकला तीनो जुलूस अपने क़दीमी रास्तों से कुतबखाना, घंटाघर, बिहारीपुर ढाल होते हुए दरगाह ताजुशशरिया पहुँचा बड़ी संख्या में लोगों ने शिरकत की । फरमान मिया व उर्स कोर कमेटी का जगह जगह फूलों से सभी लोगो ने जोरदार इस्तकबाल किया। जुलूस से पहले फरमान मियां ने कहा कि ताजुशशरिया ने अपनी पूरी ज़िन्दगी मज़हब व मसलक के लिए वफ़क़ कर दी। मसलक के फरोग के लिए दुनियाभर के दौरे किये। इल्म की शमा रौशन की। आज मुसलमानों को ताजुशशरिया के नक्शे कदम पर चलते हुए अपने बच्चों को दीनी व दुनियावी तालीम ज़रूर दिलाए। आधा पेट खाये लेकिन तालीम(शिक्षा) पर खास ध्यान दे। ताकि बच्चो का बेहतर मुस्तक़बिल बने। नफरतों का जवाब का वही तरीका अपनाए जो हमारे रसूल और बुर्जुगों ने बताया मुहब्बत को आम करे।
आज का क्रायकर्म 05 मई बरोज़ पीर बाद नमाज़-ए-फजर दरगाह ताजुशरिया पर कुरानखानी व नात मनकबत की महफिल सजाई जाएगी। सुबह 07 बजकर 10 मिनट पर मुफस्सिर-ए-आज़म (जिलानी मियां) के कुल की रस्म अदा की जाएगी। सीबीगंज स्थित मदरसा जामियातुर रज़ा में बाद नमाज़-ए-जोहर देश विदेश से आए उलमा-ए-इकराम की तकरीर होगी। शाम 07 बजकर 14 मिनट पर ताजुश्शरिया मुफ्ती अख्तर रज़ा खां (अजहरी मियां हुजूर) का कुल शरीफ़ होगा। दो रोज़ा उर्स-ए-ताजुशरिया के कुल का समापन हो जाएगा।
उर्स की व्यवस्था में मुख्य रूप से मोईन ख़ान, समरान खान, अब्दुल्ला रज़ा खान, मौलाना शम्स, हाफिज इकराम रज़ा, शमीम अहमद, कौसर अली, मो.जुनैद रज़ा, शैबुद्दीन रज़वी, ज़ुल्फ़िकार अहमद , ज़हीर अहमद, ज़फ़र बेग, मो.जुनैद रज़ा, साकिब अली, साकिब ख़ान, आतिफ़ ख़ान, कैफ़ी अली, रहबर रज़ा ,अली रज़ा, बक़्तियार ख़ान,इमरान रज़ा ख़ान ,शाहबाज खान, मोनिस रज़ा, अनस रज़ा ,नोफिल रज़ा जीशान रज़ा जीअसलम खान, मोहम्मद रज़ा ईशान फरीदी ,आदि लोग मौजूद रहे ।।
– बरेली से तकी रज़ा