7 अगस्त को शिव योग मे मनाया जाएगा हरियाली तीज पर्व, जाने शुभ मुहूर्त, सामग्री लिस्ट, पूजाविधि और महत्व

बरेली। सनातन धर्म में हर साल सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरियाली तीज मनाई जाती है। इस सुहागिनें और कुंवारी कन्याएं सुखी वैवाहिक जीवन के लिए हरियाली तीज का व्रत रखती है। सात अगस्त को विशेष शिव योग में हरियाली तीज पर्व मनाया जाएगा। सुरेश शर्मा नगर के ज्योतिषाचार्य पं. रमाकांत दीक्षित के अनुसार 7 अगस्त को सुबह 6 से 9 बजे तक पूजा का शुभ मुहूर्त है। हालांकि, इसके बाद भी 10.30 से दोपहर 12 बजे तक पूजा होगी। शाम को 4.30 से 6 बजे तक का सर्वोत्तम मुहूर्त है। इस दिन सुहागिन व्रत रखकर गौरी- गणेश और शंकर – पार्वती की पूजा कर पति की दीर्घायु की कामना करेंगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, हरियाली तीज का व्रत रखने से विवाहित महिलाओं को अखंड सुख-सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है और जीवन मे सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है। वहीं,कुंवारी कन्याओं को सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है।

हरियाली तीज 2024 कब है?
पंचांग के अनुसार, इस साल सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि का आरंभ 6 अगस्त को रात 07 बजकर 42 मिनट पर होगा और अगले दिन यानी 7 अगस्त 2024 को रात 10 बजकर 05 मिनट पर इसका समापन होगा। इसलिए उदयातिथि के अनुसार, 7 अगस्त 2024 को ही हरियाली तीज मनाई जाएगी। हरियाली तीज के दिन सुबह 11 बजकर 41 मिनट से लेकर अगले दिन तक शिव योग का निर्माण होगा।

पूजन सामग्री और पूजाविधि
पूजा करने के लिए बेलपत्र, भांग, धतुरा, शमी के पत्ते, जनेऊ, नारियल, सुपारी, अक्षत या चावल, दूर्वा,धूप, दीप, घी, चंदन, गाय का दूध, गंगाजल, दही, मिश्री, शहद, पंचामृत समेत सभी पूजन सामग्री को एकत्रित कर लें। हरियाली तीज के दिन महिलाएं सुबह जल्दी उठें। स्नानादि के बाद स्वच्छ कपड़े धारण करें। इसके बाद महिलाएं 16 श्रृंगार करे। शिव-पार्वती का ध्यान करे। अब निर्जला व्रत का संकल्प लें। शाम को शिव परिवार की विधिवत पूजा करें। मां पार्वती को 16 श्रृंगार की सामग्री चढ़ाएं। हरियाली तीज की व्रत कथा सुनें। अंत मे शिव-गौरी के साथ सभी देवी-देवताओं की आरती करें।

हरियाली तीज का महत्व
पति की दीर्घायु और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए सुहागिन महिलाएं हरियाली तीज का निर्जला व्रत रखती हैं। इस दिन महिलाएं 16 श्रृंगार करती हैं और हाथों में मेहंदी लगाती है। सावन मास के गीत गाने का विशेष महत्व है। महिलाएं झूला-झूलकर सावन के इस खास पर्व का उत्साह मनाती हैं। वहीं, कुंवारी कन्याएं सुयोग्य वर की प्राप्ति के लिए यह व्रत रख सकती हैं। धार्मिक मान्यता है कि हरियाली तीज के दिन मां पार्वती और भगवान शिव का पुनर्मिलन हुआ था। माता पार्वती ने भगवान शंकर को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए 108 जन्मों तक कठोर तप किया था। इस कठोर तप के बाद शिवजी ने मां पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया था।।

बरेली से कपिल यादव

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