बरेली। मुसलमानों को ईद उल फितर की नमाज से पहले सदका-ए-फितर हर हाल में अदा करना है। ऐसे में बालिब और नाबालिग शख्स पर कितना सदका की रकम अदा करनी है। दरगाह आला हजरत से यह तय हुआ है। पौने तीन किलो गेहूं या 4 किलो 94 ग्राम जौ, खजूर और मुनक्का या इनकी जगह 60 रूपये सदका-ए-फितरा देने का फैसला दरगाह के सज्जदानशीन ने किया है। माहे रमजान के तीसरे जुमा को शहर भर की प्रमुख दरगाहों, खानकाहों, मस्जिदों मे नमाज अदा की गई। इसी कड़ी में दरगाह आला हजरत पर भी चार बजे नमाज-ए-जुमा अदा किया गया। सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रजा कादरी (अहसन मियां) ने मुसलमानों से अपील करते हुए कहा कि जिन मुसलमानों पर सदका-ए-फित्र वाजिब और जकात फर्ज है वो लोग इसकी रकम जल्द से जल्द गरीबों तक पहुंचा दे ताकि गरीब मुसलमान भी ईद की खुशियों मे शामिल हो सके। उन्होंने आगे कहा कि अल्लाह ने सभी शरई मालदार मुसलमानों पर सदक़ा ए फित्र वाजिब और जकात को फर्ज किया। ईद की नमाज से पहले जो इसके शरई हकदार है उन तक ये रकम पहुंचा दे। सज्जादानशीन ने कहा कि हदीस मे आया है कि अल्लाह उसके सदके को कुबूल नही करता, जिसके रिश्तेदार मोहताज़ हो और वो दूसरो पर खर्च करे। अफजल है कि जकात पहले अपने अजीज जरूरतमंदों को दे। जकात व फितरा की रकम भाई-बहन, चाचा, मामू, खाला, फूफी, सास-ससुर, बहु और दामाद को भी दी जा सकती है। बशर्ते ये लोग शरई मालदार न हो। मां-बाप, औलाद, दादा-दादी, नाना-नानी, पोता-पोती, नवासा-नवासी को ये रकम नही दी जा सकती। यतीम खानों और मदरसों में भी ये रकम दे सकते है। मीडिया प्रभारी नासिर कुरैशी ने बताया कि जकात कुल माल पर 2.5 प्रतिशत अदा करनी है। इस समय बरेली मे अच्छी क्वालिटी के 2 किलो 47 ग्राम आटे की कीमत लगभग 56-57 रुपए है। इसकी कीमत बड़ा कर तो दे सकते है अफजल है। लेकिन कम नही होनी चाहिए। अवाम की आसानी के लिए इसकी कीमत तय कर दी गयी है। बरेली में इसकी कीमत 60 रुपए तय की गई है। इससे बड़ा कर जितना चाहे दे सकते है।।
बरेली से कपिल यादव