अभी मौसम बरसात की आ चुका हैं। और जम के बारिश होने की संभावना भी है और हो भी रही हैं। बस इतना जरूर है कि कहीं कम कही ज्यादा। बिहार में तो बारिश इस बार 48 % से भी कम है और यहाँ के किसान खासा परेशान हैं। अभी धान रोपने का कार्य चालू है पर धान उगने वाले खेत पूरी तरह से सूखे है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस पर शोक जताई है। और हो सकता है कि इस बार बिहार को सूखा घोषित कर दे। पर अभी मैं बात कर रहा हूँ ,हो छिट पुट हो रही बारिश की और बारिश होने की वजह से मच्छरों की संख्या काफी बढ़ जाती हैं। घरो के आसपास पानी जमा होने से मलेरिया वाले मच्छर भी खूब बढ़ जाते है।समय समय पर सरकार के द्वारा इसके रोकथाम के लिए अभियान चलाए जाते है। पर पूरी तरह से मलेरिया खत्म हो जाये इसका उपाय नही हो रहा था ।
मलेरिया के ठीक होने के बाद भी इसका अंश लीवर में कहीं रह जाता है, जिसकी वजह से इसके बार-बार होने का ख़तरा रहता है.
इस तरह मलेरिया से हर साल पीड़ित होने वालों की संख्या 85 लाख है.
‘प्लाज़मोडियम विवॉक्स’ नाम के इस मलेरिया के इलाज के लिए एक ख़ास दवा को हाल ही में अमरीका में मंज़ूरी दी गई है. पिछले साठ सालों की कोशिशों के बाद वैज्ञानिकों को यह कामयाबी मिली है.
इस दवा का नाम टैफेनोक्वाइन है. दुनियाभर के रेगुलेटर अब इस दवा की जांच कर रहे हैं, ताकि अपने यहां मलेरिया-प्रभावितों को इस दवा का फायदा पहुंचा सकें.प्लाज़मोडियम विवॉक्स मलेरिया उप-सहारा अफ्रीका के बाहर होने वाला सबसे आम मलेरिया है. यह इसलिए ख़तरनाक होता है, क्योंकि ठीक हो जाने के बाद भी इसके दूसरी और तीसरी बार होने का ख़तरा होता है.इस तरह के मलेरिया का सबसे ज़्यादा ख़तरा बच्चों को होता है. बार-बार होने वाली वाली इस बीमारी की वजह से बच्चे कमज़ोर होते जाते हैं.
संक्रमित लोग इसे और फैलाने का ज़रिया भी बन सकते हैं, क्योंकि जब कोई मच्छर उन्हें काटने के बाद किसी दूसरे को काटता है तो वो दूसरा व्यक्ति भी उस संक्रमण से प्रभावित हो सकता है.
यही वजह है कि इस मलेरिया से जंग आसान नहीं है.
लेकिन अब अमरीका के खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) ने इस तरह के मलेरिया को हराने में सक्षम टैफेनोक्वाइन दवा को मंज़ूरी दे दी है.
ये दवा लीवर में छिपे प्लाज़मोडियम विवॉक्स के अंश को खत्म कर देती है और फिर यह बीमारी बार-बार लोगों को नहीं हो सकती.
तुरंत फायदे के लिए इसे दूसरी दवाइयों के साथ भी लिया जा सकता है.