बरेली। 59 करोड़ के बरेली-सितारगंज फोरलेन घोटाले मे एनएचएआई के दो पीडी और चार एसएलएओ समेत 21 दोषी पाए गए हैं। मंडलीय समिति ने सात लेखपाल, एक अमीन, कंसल्टेंसी एजेंसियों के पांच प्रतिनिधि और एनएचएआई के दो साइट इंजनियर को दोषी करार दिया है। कमिश्नर सौम्या अग्रवाल ने फोरलेन भूमि अधिग्रहण घोटाले के दोषियों के नाम कार्रवाई की संस्तुति के साथ शासन को भेज दिए। कमिश्नर ने फोरलेन परियोजना की विशेषज्ञ एजेंसी से सघन जांच कराने की सिफारिश की है। बरेली-सितारगंज फोरलेन के पैकेज-2 यानि पीलीभीत में अधिग्रहीत जमीन और परिसंपत्तियों की जांच 5 सदस्यीय मंडलीय समिति ने की थी। समिति ने 50 लाख से अधिक मुअवाजा लेने वाले 9 गांवों के 20 मामलों की जांच की थी। 13 सितंबर को कमिश्नर ने जांच रिपोर्ट शासन को दोषी विभागों का जिक्र करते हुए भेजी थी। शासन ने कमिश्नर से दोषी अधिकारी-कर्मचारियों के नाम के साथ रिपोर्ट देने को कहा। करीब एक सप्ताह से दस्तावेज पर हस्ताक्षरों का मिलान करने के बाद दोषी अधिकारी-कर्मचारी तय हो सके। जांच में परिसंपत्तियों के अधिक मूल्यांकन के लिए एनएचएआई के तत्कालीन पीडी एआर चित्रांशी और बीपी पाठक को दोषी करार दिया है। एनएचएआई के साइट इंजीनियर पीयूष जैन और पारस त्यागी भी दोषी मिले हैं। कंसल्टेंसी एजेंसी साई सिस्ट्रा ग्रुप के प्रतिनिधि उजैर अख्तर, एसए इंफ्रा स्ट्रक्चर कंसल्टेंसी के राजीव कुमार और सुनील कुमार, शिवम सर्वेइंग सिस्टम के वैल्यूअर रविंद्र गंगवार और सुरेश गंगवार दोषी पाए गए। इसके अलावा क्षेत्रीय लेखपाल मुकेश मिश्रा, विनय कुमार, दिनेश चंद्र, आलोक कुमार, मुकेश गंगवार, तेजपाल, ज्ञानदीप के साथ एसएलएओ ऑफिस के तत्कालीन भूमि अर्जन अमीन अनुज वर्मा जांच में दोषी पाए गए है। सितारगंज फोरलेन के भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया बरेली से की गई। नोटिफिकेशन की सूचना समय पर तहसीलों न देने को एसएलएओ को दोषी माना गया है। तत्कालीन एसएलएओ सुल्तान अशरफ सिद्दीकी, मदन कुमार, राजीव पांडेय के साथ मौजूदा एसएलएओ अशीष कुमार को उत्तरादायी मानते हुए इनके नाम शासन को भेजे गए। डीएम ने सीडीओ और एडीएम फाइनेंस की संयुक्त टीम से सितारगंज फोरलेन के पैकेज-1 यानि बरेली सदर और नवाबगंज तहसील की अधिग्रहीत जमीन की जांच कराई थी। जांच डीएम ने दो सदस्यीय समिति से कराई थी। जिसमें 12.82 करोड़ का घोटाला सामने आया था।।
बरेली से कपिल यादव