24 अक्तूबर को पांच शुभ संयोग मे मनाई जाएगी अहोई अष्टमी, जानें पूजा मुहूर्त, व्रत नियम

बरेली। अहोई अष्टमी का व्रत कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। संतान की सुरक्षा और सुखी जीवन के लिए रखा जाने वाला अहोई अष्टमी व्रत इस बार पांच शुभ संयोग मे है। अहोई अष्टमी 24 अक्टूबर गुरुवार को है। उस दिन गुरु पुष्य योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, साध्य योग, अमृत सिद्धि योग और पुष्य नक्षत्र का सुंदर संयोग बना है। गुरु पुष्य योग में आप सोना, मकान, वाहन आदि खरीद सकते है। वही सर्वार्थ सिद्धि योग मे आपके किए गए कार्य सफल सिद्ध होते है। अहोई अष्टमी के दिन अहोई माता की पूजा करते है। उनकी कृपा से संतान सुरक्षित रहती है और उसका जीवन सुखमय होता है। यह व्रत सूर्योदय से लेकर तारों के निकलने तक रखा जाता है। अहोई अष्टमी का दिन अहोई आठें के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन माता अहोई के साथ साथ स्याही माता की उपासना भी की जाती है। वही अहोई अष्टमी का व्रत विवाहित महिलाएं संतान प्राप्ति और माताएं संतान की सुरक्षा के लिए रखती है। इस व्रत मे अन्न, जल, फल आदि का सेवन नही करते है। इस वजह से यह निर्जला व्रत होता है। अहोई अष्टमी का व्रत सूर्योदय से शुरू होकर तारों के निकलने तक रखा जाता है। तारों को देखकर व्रत को पूरा करते है और पारण किया जाता है। इस व्रत मे शाम को पूजा स्थान पर अहोई माता की 8 कोनों वाली एक पुतली बनाई जाती है। उसमें फिर रंग भरते है। उसके पास ही सेई या साही और उसके बच्चों के भी चित्र बनाते है। यदि आप ये चित्र नही बना सकती हैं तो मार्केट से अहोई माता की तस्वीर लेकर पूजा स्थान पर रख सकती है। अहोई माता को 8 पूड़ी, 8 मालपुएं, दूध, चावल का भोग लगाते है। अहोई अष्टमी की कथा सुनते समय व्रती को गेहूं के 7 दाने रखने चाहिए। कथा सुनने के बाद उन गेहूं को अहोई माता के चरणों में अर्पित करते है। अहोई अष्टमी की पूजा के समापन पर चांदी के दो मोती एक धागे मे पिरोकर व्रती को पहनना चाहिए। आप चाहें तो चांदी की जगह माती की माला भी पहन सकती है। वही कार्तिक कृष्ण अष्टमी तिथि की शुरूआत- 24 अक्टूबर, 1:18 एएम सेकार्तिक कृष्ण अष्टमी तिथि की समाप्ति- 25 अक्टूबर, 1:58 एएम पर
अहोई अष्टमी पूजा मुहूर्त- 24 अक्टूबर, शाम 5:42 बजे से शाम 6:59 बजे तक
अहोई अष्टमी पर तारों को देखने का समय- शाम 6:06 बजे से। वही अहोई अष्टमी व्रत मे आप अहोई माता को चावल की खीर, मालपुआ, गुलगुले, सिंघाड़े का फल, मूली, दूध, चावल, गेंहू के 7 दाने, मेवा, फल-फूल और जलेबी का भोग लगा सकते है।।

बरेली से कपिल यादव

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