हरिद्वार/रुड़की- भगवान श्रीकृष्ण जगत पालक श्री विष्णु जी के अवतार है, शास्त्रों के अनुसार नंदलाल श्रीकृष्ण का जन्म द्वापर युग में धर्म की रक्षा के लिए हुआ था। उनका पूरा जीवन ही रोमांचक कहानियों से भरा हुआ शास्त्रों में बताया गया हैं, चाहे बचपन में नन्द किशोर की शैतानियां हो, या जवानी में गोपियों के साथ की गई रासलीला हो, मित्रता हो, या राजा का कर्तव्य, युद्ध में दिया गया गीता का ज्ञान हो, या हमेशा सच का साथ। इसीलिए भगवान् श्री कृष्ण के जन्म दिवस जन्माष्टमी को लोग बड़े उत्साह और धूमधाम के साथ हर वर्ष मनाते हैं ।इस वर्ष 2018 में जन्माष्टमी पर्व पर किस प्रकार व्रत और पूजन किया जाए जाने ।
जन्माष्टमी पूजन का शुभ मुहूर्त….
ज्योतिषाचार्य पंडित रजनीश के अनुसार निशिता पूजा का समय रात 11 बजकर 23 मिनट से रात 12 बजकर 43 मिनट तक होगा । पूजा का मुहूर्त लगभग 45 मिनट तक रहेगा ।
अष्टमी तिथि 2 सितम्बर 2018 रविवार को सुबह 8 बजकर 45 मिनट से शुरू होगा ।
अष्टमी तिथि समापन: 3 सितम्बर 2018 सोमवार को शाम 7 बजकर 19 मिनट पर होगा ।
ज्योतिषाचार्य पंडित रजनीश शास्त्री।
इसलिए मनाई जाती है जन्माष्टमी…
सत्य और धर्म की स्थापना, असुरों का नाश करने के लिए ईश्वर हमेशा धरती पर अवतरित होते हैं । भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की मध्यरात्रि (आधी रात) को उत्तरप्रदेश के मथुरा में भगवान कृष्ण ने अवतार लिया था । इसलिए हर्षोल्लस के साथ मनाया जाता हैं ।
ऐसे करें- जन्माष्टमी का व्रत…
जन्माष्मी की एक रात से एक दिन पहले ही उपासक को ब्रह्चर्य का पालन करना चाहिए । उसके बाद सुबह नहा धोकर स्वच्छ पीत वस्त्र धारण कर, और सूर्य, सोम, यम, काल, संधि, भूत, पवन, दिक्पति, भूमि, आकाश, खेचर, अमर और ब्रह्मादि सभी देवताओ का स्मरण करते हुए पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ मुँह करके कुशा के आसन पर बैठ जाये । अब अपने हाथ में जल, अक्षत, पुष्प, कुश और गंध लेकर संकल्प करें, और इस मन्त्र का कम से कम 251 बार जप करें । ऐसा करने से श्री कृष्ण की कृपा से जीवन में आ रहे संघर्षों से मुक्ति मिलती हैं।
मंत्र
ममखिलपापप्रशमनपूर्वक सर्वाभीष्ट सिद्धये ।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रतमहं करिष्ये
अब दोपहर के समय काले तिलों को पानी में डालकर माता देवकी जी स्नान के लिए ‘सूतिकागृह’ नियत करें, और फिर भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति या चित्र स्थापित करें, इसे अलग से या अपने मंदिर में स्थापित कर सकते हैं । यदि चित्र या मूर्ति में देवकी माँ बालक श्रीकृष्ण को स्तनपान कराती हुई हों और लक्ष्मी जी उनके चरण स्पर्श किए हों अथवा ऐसे भाव हो, तो यह बहुत उत्तम माना जाता हैं । इसके बाद विधि-विधान से पूजन अर्चना करें।पूजन पूर्ण होने के बाद निम्न मंत्र से पुष्पांजलि अर्पण करें।
‘प्रणमे देव जननी त्वया जातस्तु वामनः ।
वसुदेवात तथा कृष्णो नमस्तुभ्यं नमो नमः ।
सुपुत्रार्घ्यं प्रदत्तं में गृहाणेमं नमोऽस्तुते
रात में खोले उपवास….
किसी कृष्ण मंदिर में या अन्यत्र जहां उत्सव मनाया जा रहा हो वहां भजन कीर्तन करके, रात को होने वाली कृष्ण जन्म की आरती के बाद माखन मिश्री के भोग से अपने उपवास को खोलना चाहिए । ऐसा माना जाता है कि इस दिन श्रीकृष्ण का विधि विधान से व्रत पूजन किया जाये तो जीवन में किसी भी चीज का अभाव नहीं रहता।
– रूडकी से इरफान अहमद की रिपोर्ट