सहारनपुर – कृषि और किसान प्रसार मंत्रालय ने डेढ़ दर्जन कीटनाशकों को प्रतिबंधित करने का निर्णय लिया है। हालांकि चरणबद्ध तरीके से बिक्री पर पूरी तरह रोक अगले साल से लगेगी। एक जनवरी 2018 से प्रतिबंध पूरी तरह प्रभावी माना जाएगा।
प्रतिबंधित की गई दवाएं गर्भवती महिलाओं से लेकर जीव-जंतुओं तक के लिए घातक बताई गई हैं। राज्य सरकार का आदेश मिलते ही कृषि विभाग पेस्टीसाइड दवाओं की रोक को लेकर विक्रेताओं को जानकारी देने में जुटा है।
केंद्रीय कृषि और किसान प्रसार मंत्रालय ने जिन दवाओं की बिक्री प्रतिबंधित की है, उनमें बेनोमाइज, कार्बराइल, डायजिनोन, फेनारियोल, फेथिओन, लितुरोन, मिथाक्सी इथाइल, मरकरी क्लोराइड, सोडियम साइनाइट, थियोमेेटोन, टाइडेफोर्म, ट्राइफ्लूरेलिन, अलाक्लोर, डाइक्लोरोवास, फोरेट, फोस्फोमिडोन, ट्रायोजोफोज व ट्राइक्लोरोफोर्न हैं।
इन दवाओं पर प्रतिबंध के लिए संयुक्त सचिव अश्विनी कुमार ने भारत के राजपत्र में इन कीटनाशकों को प्रतिबंधित करने के कारणों के साथ आदेश जारी किया है। इनमें फोरेट को छोड़ कर सभी दवाओं को एक जनवरी 2018 से प्रतिबंधित किया गया है, जबकि फोरेट को एक जनवरी 2019 से प्रतिबंधित किया गया है।
अपर जिला कृषि रक्षा अधिकारी आरडी वर्मा ने बताया कि इन दवाओं का सर्वाधिक असर गर्भवती महिलाओं पर पड़ रहा था। खेत में काम के लिए जाने वाली महिलाओं से जन्म लेने वाले बच्चे विकृत हो सकते थे।
इसके अलावा मछलियों पर इनका दुष्प्रभाव होता है। खेतों से होकर पानी तालाबों में पहुंचता था इनका सेवन मछलियां करती थीं और मछलियों को माध्यम से ये मानव शरीर में पहुंच रहे थे। चिड़िया व अन्य पक्षियों पर इन दवाओं के दुष्प्रभाव देखे गए हैं। इस कारण से दवाओं पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है।
शासन से पत्र आने के बाद सभी कीटनाशी दवाओं के थोक व फुटकर विक्रेताओं को इससे अवगत कर दिया गया है। दुकानदारों को यह भी निर्देश दिया गया है कि वह अपने स्टोर में जो दवाएं रखे हैं उसे बेच कर समाप्त कर दें और इन दवाओं का आयात न करें। आदेशों का उल्लंघन करने वाले विक्रेता पर सख्ती से कार्यवाही की जाएगी।
-सुनील चौधरी,सहारनपुर