बरेली। रंगालय एकेडमी ऑफ आर्ट एंड कल्चर की ओर से आयोजित तृतीय 15 दिवसीय थिएटर फेस्ट का सोमवार को लोक खुशहाली सभागार में भव्य समापन हुआ। इस अवसर पर युगांधर थिएटर बरेली के कलाकारों ने निर्देशक सुशील मोहित के मार्गदर्शन में प्रसिद्ध नाटक “अभिशप्त राजा” का मंचन कर दर्शकों को भाव-विभोर कर दिया। नाटक की कथा ने दर्शकों को गहरे चिंतन में डालते हुए यह संदेश दिया कि इंसान परिस्थितियों का केवल कठपुतली है और प्रकृति का न्याय अनिवार्य है, जिसे बदला नहीं जा सकता।
नाटक की कहानी एक राज्य और उसके राजा की त्रासदी पर आधारित है। ज्योतिषियों की भविष्यवाणी होती है कि राजा की संतान ही उसके वध का कारण बनेगी और अपनी ही माँ से विवाह करेगी। इस अनिष्ट की आशंका से भयभीत राजा अपने पुत्र को जन्म के बाद ही जंगल में छोड़ देता है। संयोगवश वह शिशु दूसरे राज्य के राजा को मिल जाता है और वहीं पला-बढ़ता है। युवक बनने पर वह अपने ही जन्मदाता पिता के राज्य पर आक्रमण करता है और युद्ध में अपने पिता की हत्या कर देता है। इसके बाद भवितव्यता की विडंबना उसे अपनी ही माँ से विवाह करने की ओर ले जाती है।
नाटक के चरम दृश्य में जब राजा को सच का ज्ञान होता है कि वह जिस रानी से विवाह कर चुका है, वह उसकी माँ है, तो यह सत्य उसके जीवन को झकझोर देता है। अपराधबोध से व्याकुल होकर वह अपनी आंखें फोड़ लेता है और वनवास चला जाता है। इस प्रकार नाटक ने अत्यंत मर्मस्पर्शी ढंग से यह स्पष्ट किया कि भाग्य से कोई नहीं बच सकता और इंसान अपने ही कर्मों व नियति के जाल में उलझा रहता है।
कार्यक्रम का शुभारंभ डॉ. दीपक गंगवार, सुभाष कथूरिया, गुरविंदर सिंह और डॉ. विनोद पागरानी ने दीप प्रज्वलित कर किया। समापन अवसर पर कार्यक्रम संयोजक शैलेन्द्र कुमार आज़ाद ने सभी अतिथियों, कलाकारों और दर्शकों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि यह फेस्टिवल शहर की रंगकला परंपरा को नई ऊँचाइयों तक ले जाने में मील का पत्थर साबित हुआ है।