बरेली। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को बरेली स्थित भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) के 11वें दीक्षांत समारोह में शोधकर्ताओं की सराहना की। उन्होंने कहा कि संस्थान की 136 वर्षों की साधना पूरे देश के लिए प्रेरणास्रोत है। आप जैसे वैज्ञानिक मूक पशुओं की आवाज बनते हैं। आप सभी का शोध और सेवा समाज को एक नई दिशा देता है। सीएम योगी ने कहा कि आईवीआरआई न केवल पशुधन बल्कि हर जीव-जंतु के लिए जीवन रक्षक सेवा का केंद्र बना है। उन्होंने बताया कि कोरोना महामारी के दौरान जब जांच एक चुनौती बनी हुई थी, तब आईवीआरआई ने उत्तर प्रदेश सरकार के साथ मिलकर दो लाख से अधिक कोविड जांच करवाई। दीक्षांत समारोह में डिग्री प्राप्त करने वाले छात्रों को संबोधित करते हुए सीएम योगी ने कहा कि आज का दिन आपके जीवन का एक नया अध्याय है। यह केवल डिग्री नहीं, बल्कि समाज को आपकी सेवा समर्पित करने की शपथ है। कार्यक्रम मे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू व राज्यपाल आनंदीबेन पटेल मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रही। दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति ने मेधावियों को पदक और उपाधियां वितरित की। आईवीआरआई के निदेशक डॉ. त्रिवेणी दत्त ने दीक्षांत समारोह की औपचारिक शुरुआत कर बताया कि आईवीआरआई 1889 में पुणे की एक लैब से शुरू हुआ। करीब 240 वैज्ञानिकों वाले इस संस्थान में पशुओं पर बेहतरीन शोध, सौ से ज्यादा नई टेक्नोलॉजी से लेकर 50 से ज्यादा वैक्सीन तैयार की जा चुकी हैं। संस्थान में 22 विषयों में राष्ट्रीय डिप्लोमा पाठ्यक्रम, पशु चिकित्सा विज्ञान में स्नातक (बीवीएससी, एएच), बायोटेक्नोलोजी, 18 विषयों में एमवीएससी, 03 विषयों में एमएससी, 18 विषयों में पीएचडी की उपाधि, 68 सर्टिफिकेट तथा वोकेशनल कोर्स शुरू किए हैं। पशुधन के आनुवंशिक विकास पर अनुसंधान से वैज्ञानिकों ने वृंदावनी गाय, लैंडली सूकर विकसित किया। रुहेलखंडी गाय, रुहेलखंडी बकरी, घुर्रा सूकर को चिह्नित कर राष्ट्रीय स्तर पर पंजीकृत कराया है। पशु पोषण विभाग देशभर के चिड़ियाघरों में जानवरों को दिए जाने वाला आहार की जांच कर सुझाव देता है। वन्यजीव प्राणी संस्थान, चिड़ियाघर समेत सफारी, टाइगर रिजर्व, रेस्क्यू सेंटर की देखभाल की जानकारी के लिए गाइडलाइन जारी करता है। आईवीआरआई 136 वर्षों से लगातार पशु चिकित्सा के क्षेत्र में निरंतर शोध कर रहा है।।
बरेली से कपिल यादव