राजस्थान/बाड़मेर- आप सभी इस बात से अवगत हैं कि मौजूदा हालात बेहद गंभीर है और कोराना भड़भड़ी के दिनों में अमुक-अमुक भामाशाह ने इतने लाख रुपये का चेक उसने उसको दान के रूप मे दिया और दुसरे दिन एक अच्छी से फ़ोटो समाचार पत्रों में प्रकाशित होने के साथ-साथ सोशल मीडिया एवम दैनिक अखबार में जरूर छपेगी । यह अच्छा एवम सहरानीय तारीफ काबिल पावन कार्य एवम सराहनीय कदम है।
लेकिन मेरी भामाशाहों से विन्रम अनुरोध और अपील है कि कृप्या अपने रहवासिय इलाके के आसपास भी निगाह डाल लें कि आपके निगाह में जरूरतमंद इंसान आर्थिक रूप से इस जंग में कमजोर कड़ी तो नहीं साबित हो रहा । पहले उन्हें मजबूत करें क्योंकि उन तक आप ही पहुँच सकते हैं, क्योकि यह आपके वो लोग हैं जो आपसे माँगने से हिचकिचायेंगे ।
मैंने हकीकत में मेरी आँखों के सामने देखा है मन्नतें पूरी हुई लोग बाग़ रुपये-पैसों के साथ पांच सौ और दो हजार के बंडल के बंडल मंदिरों की दान पेटियों में डाल देते है पर गरीब जरूरतमंद इंसान की सहायता करने से दूरी बना लेते है ।
आदरणीय बंधुओं इसलिए पुनः सभी सम्मानित गणमान्य व्यक्तियों से अपील कर रहा हूं आगे होकर खुद ही मदद एवम सहयोग का हाथ बढायें …और पुण्य कमाए।
इस मुश्किल,संकटमय समय में किसी की मदद कीजिए या न कीजिये,पर किसी को कोई सामान देते वक्त उसकी फोटो ना खींचकर उसके आत्मसम्मान को कोई ठेस न पहुंचाइए।
आप जानते है इस समय सबसे ज्यादा परेशान कई जरूरतमंद लोग है, जो न अनाज मांग सकता है, न खाना मांग सकता है । कई उधार पर उधार लेकर अपना घर चला रहा है और कर्जे से दबता जा रहा है…इनको सभी को कोटि कोटि प्रणाम।
ऐसे जरूरत मंद लोगो के मदद करने का अनोखा अंदाज़ मैंने सोशल मीडिया के माध्यम से जाना…
मुहल्ले में एक जरूरत मंद महिला के घर आटा और सब्जी नहीं था मगर वह सादगी से रहने वाली महिला बाहर आकर मुफ़्त बांटने वाले राशन वाली लाइन में लगने से घबरा रही थी….
फ्री राशन वितरण करने वाले समाजसेवी युवाओं को जैसे ही यह बात पता चली उन्होंने अन्य जरूरतमंदों के साथ मिलकर घरेलू खाने का सामान जैसे तेल नमक मिर्च आटा व सब्जी बांटना रोक दिया। वो सब पढ़े लिखे युवा थे,आपस में राय व मशविरा किया, बातचीत में यह तय हुआ कि न जाने कितने परिवार जिनके रोजगार छूट गए आमदनी आजकल नही है इन लोगों को अपनी आंखों में ज़रूरत का प्याला लिए फ़्री राशन की लाइन को देखते हैं,पर अपने आत्मसम्मान के कारण करीब नहीं आते….
राय व मशविरा के बाद उन समाजसेवी युवाओं ने मुफ्त राशन वितरण का बोर्ड बदल दिया और दूसरा बोर्ड लगा दिया जिस में लिखा था कि…
स्पेशल ऑफ़र ….
हर प्रकार की सब्जी 15 रूपए किलो, मसाला साथ में फ़्री, आटा, चावल, दाल, चीनी केवल 15 रूपए किलो…..
ऐसा बोर्ड में लिखा देखकर लोगों की भीड़ छंट गई और अन्य जरूरत मद परिवार के मजबूर लोग हाथ में थोडे बहुत रूपए पकड़े ख़रीदारी की लाईन में लग गए, अब उन्हें इत्मीनान था, की उनके आत्मसम्मान को ठेस लगने वाली बात नहीं थी।
इसी लाइन में वो महिलाएं भी अपने हाथ में थोड़ी रकम लेकर खड़ी थीं, उनकी आंखें भीगी हुई थी पर घबराहट ना थी। उनकी बारी आई सामान लिया पैसे दिए और इत्मीनान के साथ घर वापस आ गईं, सामान खोला देखा कि जो पैसे उन्होंने ख़रीदारी के लिए दिए थे वह पूरे के पूरे उनके सामान के साथ मौजूद थे…..
समाजसेवी युवाओं ने उनका पैसा वापस उस समान के थैले में डाल दिए थे…
वो समाजसेवी युवक हर खरीददार के साथ यही कर रहे थे, यह सच है कि इस तरह का तारीका आजकल दिखावा करने वाले समाजसेवी लोगों के लिये नामुमकिन है…
मेरी आप सब से यही प्रार्थना है की आप लोग भी मदद कीजिए पर किसी के आत्मसम्मान को ठेस न पहुंचाइए …मदद करते समय नहीं तो फोटो खीचे न ही कोई कोई विडियो बनाये क्योंकि यह जरूतमद का घोर अपमान है और उनकी भावनाओं को ठेस पहुँचता है….जरूरी नही की आप किसी की मदद आर्थिक सहायता से ही करे आप चाहे तो दो मिठे बोल बोलकर भी उस जरूरत मंद का सहयोग कर सकते।
क्योंकि यकीन रखिए कि ईश्वर आपके द्वारा किये गये हर कर्म पर अपनी नजर रखते हैं..उन्हें किसी फोटो या सबूत के तौर पर विडियो की जरूरत नहीं है ।
आइए हम सब मिलकर छोटे छोटे रूप में निस्वार्थ भाव से सेवा सहायता मंच बनाए और मानवता का धर्म जरूर निभाए और इस मुहिम और सेवा भाव अभियान से जुड़े।
– राजू चारण बाड़मेर से रिपोर्टर