स्वास्थ्य केंद्र में समय पर नहीं मिलते डॉक्टर और कर्मचारी:परेशान होते रहते हैं मरीज और स्वजन

– अफसरों की लापरवाही संसाधनों की कमी से जूझ रहा तेन्दूखेड़ा का स्वास्थ्य विभाग

– मुख्यालय पर भी नहीं ठहरते कर्मचारी सुबह के समय पसरा रहता है सन्नाटा

-दमोह जिले के तेन्दूखेड़ा स्वास्थ्य केंद्र का मामला यहां पर पदस्थ कर्मचारी समझते हैं अपने आप को अधिकारी और बाबू डॉक्टरों के सरंक्षण में चल रही है इन कर्मचारियों की मनमानी

मध्यप्रदेश/ तेंदूखेडा– जहां एक और सरकार करोड़ों रुपए पानी की तरह बहा कर लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराए जाने के लिए कटिबद्ध है वहीं दमोह जिले के तेन्दूखेड़ा स्वास्थ्य केंद्र में तैनात चिकित्सक व कर्मचारी शासन की मंशा पर पानी फेरने में तुले है तेन्दूखेड़ा के स्वास्थ्य केंद्र में उदासीनता के चलते स्वास्थ्य सेवाएं लचर हो चुकी है यहां पर खुद अस्पताल बीमार नजर आ रहा है नर्सों एवं कुछ स्टाफ की बदौलत किसी तरह यहां पर इलाज के नाम पर मरहम पट्टी का कार्य किया जा रहा है पदस्थ स्टाफ में अधिकाशं अधिकारी कर्मचारी मुख्यालय पर निवासरत नहीं है जिनके समय बेसमय अस्पताल पहुंचने के कारण स्वास्थ्य सेवाएं और भी ज्यादा लचर हो चुकी है जबकि पहले से ही स्टाफ की कमी का रोना रहता है और अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है तेन्दूखेड़ा की स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरीक़े से प्रभावित है स्वास्थ्य केंद्रों में ड्यूटीरत कर्मचारी समय पर नहीं पहुचने और मरीज और उनके स्वजनों को परेशानी का सामना करना पड़ता है जिले के तेन्दूखेड़ा स्वास्थ्य केंद्र में इसी तरह की अनियमिताएं बनी है यहां पर 40 से 55 कर्मचारी पदस्थ है लेकिन ड्यूटी के समय एक भी मौजूद नहीं रहता न तो इनके आने का कोई समय निश्रित है और ना जाने का गुरुवार सुबह भी इसी तरह का आलम देखने को मिला जब 10 बजे तक एक भी कर्मचारी स्वास्थ्य केंद्र में मौजूद नहीं था सिर्फ दो लोग ही मौजूद थे जिसमें एक कर्मचारी पर्ची बना रहा था और दूसरा भी कुछ काम करते हुए दिखाई दिया सिर्फ मरीज पर्ची कटवाकर यहां वहां डॉक्टरों और कर्मचारियों को ढूंढते फिरते रहे काफी देर तक परेशान होने के बाद उन्होंने इस बात की सूचना मीडिया को दी जब मौके पर जाकर जानकारी ली तो दो से तीन कर्मचारी और एक महिला डॉक्टर उस समय आई हुई थी जिसने लोगों का इलाज किया
कर्मचारियों का समय निश्रित नहीं
तेन्दूखेड़ा क्षेत्र में अधिकारियों से उदासीनता का ही परिणाम है कि यहां पर कार्यरत स्टाफ बेलगाम हो गया है और बाबू गिरी करते रहते हैं इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि इन दिनों अस्पताल का संचालन स्टाफ अपनी मनमर्जी से कर रहा है कुछ कर्मचारियों को छोड़ दिया जाए तो बाकी स्टाफ के आने जाने का कोई समय निश्रित नहीं है वहीं अस्पताल की दीवारों पर अभी तक किसी भी डॉक्टर और कर्मचारी का समय और काम निर्धारित समय नहीं लिखा हुआ है किन्तु उस समय पर महज कुछ कर्मचारी ही अस्पताल पहुंचते हैं और उन्हीं के भरोसे अस्पताल का संचालन किया जा रहा है अधिकारी एवं कर्मचारियों की उदासीनता के चलते अस्पताल में दूर दराज से आने वाले मरीजों को इलाज के अभाव में भटकना पड़ता है और आखिरकार मायूस होकर वापस अपने गावों में ही छोलाछाप डॉक्टरों से इलाज करवाने की मजबूरी बन जाता है जबकि शासन द्वारा क्षेत्र के मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मिल सके इसको लेकर करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं लेकिन यहां की स्वास्थ्य सेवाओं को जमीनी हकीकत किसी से छुपी नहीं है ऐसे में मरीजों के लिए बेहतर स्वास्थ्य की कामना करने वाले अस्पताल में बीमारी से निजात की बात करना बेईमानी ही होगी
नियंत्रण से बाहर कर्मचारी
यू तो डॉक्टरों की कमी से तेन्दूखेड़ा अस्पताल कई वर्षों से जूझ रहा है जबकि एक समय था जब यहां पर 4-4 डॉक्टर पदस्थ थे किन्तु आज किसी तरह सीबीएमओ अपनी सेवाएं दे रहे हैं किन्तु उनके जाते ही यहां स्टाफ मनमर्जी से अपना कार्य करता है यहां पर कौन कर्मचारी कब आता है कब चला जाता है और किस का कौन सा कार्य और काम है आज तक किसी को अतापता नहीं रहता है कोई भी निश्र्चित नहीं है सीबीएमओ की गैरमौजूदगी के चलते कर्मचारी बेलगाम हो गए हैं
ओपीडी तक जाने के लिए साधन नहीं
वहीं कुछ और शारीरिक रुप से अक्षम लोगों के लिए मुख्य द्वार से ओपीडी तक ले जाने के लिए भी कोई भी व्यवस्था यहां नहीं रखी गई है इसका चलते संबंधित मरीज को उसके परिजनों द्वारा ही उसे अपने हाथों से लेकर जाना होता है
दो चार को छोड़ बाकी रहते हैं अपने घरों में
तेन्दूखेड़ा स्वास्थ्य केंद्र में हमेशा अनियमिताएं बनी रहती है अस्पताल में कहने को तो 40 से 50 कर्मचारी पदस्थ है लेकिन ड्यूटी के दौरान दो चार कर्मचारी ही मिलते हैं शेष सभी कर्मचारी मनमाने तरीके से आते जाते हैं जिन पर लगाम लगाने वाला कोई नहीं है
मुख्यालय पर नहीं ठहरते कर्मचारी दमोह जबलपुर से करते हैं अपडाउन
स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ अधिकांश अधिकारी और कर्मचारी अपने मुख्यालय पर निवास नहीं करते हैं वो हमेशा दमोह जबलपुर से अपडाउन की स्थिति बनाए हुए हैं इसके चलते आम लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है स्वास्थ्य विभाग के मैदानी कर्मचारियों को 11 बजे से 12 बजे के बीच कई बार मीडिया ने बसों में अप डाउन करते हुए देखा है और देखा जा सकता है जिला प्रशासन से अप डाउन करने वाले कर्मचारियों को मुख्यालय पर अपना अपना निवास बनाए जाने के निर्देश देने की मांग की है जिससे स्वास्थ्य विभाग की चिंताजनक हालत में सुधार हो सके कल फिर कुछ मामलों का खुलासा किया जाएगा जिसमें कर्मचारी अपने आप को डॉक्टर और बाबू समझते हैं और मनमानी करते हुए दिखाई देते हैं
इनका कहना
जब इस संबंध में तेन्दूखेड़ा सीबीएमओ बीपी अहिरवार से बात की गई तो उन्होंने पहले तो कहा कि डॉक्टर तो रहते हैं मौजूद फिर कहने लगे की कल से दिखवाते है और समय में आने के लिए कहते हैं।

– विशाल रजक तेन्दूखेड़ा

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