स्कूल चलें हम अभियान में चल रहा आंकड़ों का खेल

मध्यप्रदेश/तेन्दूखेड़ा – जहां एक और सरकार द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में जिस प्रकार की योजनाएं चलाते हुए उन गरीबों का भला करने की सोच रखी जा रही है यदि उन योजनाओं का सही रूप से पालन होने लगे तो निश्रित ही उन गरीबों का भला होने में देर नहीं लग सकेगी जो इस भीषण महंगाई के दौर में अपनी बच्चों को पढ़ाने से बंचित होते हुए देखे जा रहे है मगर कागजों के हिसाब तो शासन प्रशासन की जनहित का अभियान सुनियोजित ढंग से चलाता है किन्तु देखने में आता है कि प्रशासनिक अमले की निष्क्रियता व आलस्य की प्रवृत्ति के चलते वह जनसमस्याओं के प्रति गंभीर न होने की स्थिति में लोकहितैषी अभियान परिणामकारी नहीं बन पाते और लोगों द्वारा शासन की ठीक मंशा के तहत चलाये जाने वाले अभियानों को बेमतलब औपचारिक घोषित कर दिया जाता है जबकि हकिकत यह है कि अनेक जनहितैषी अभियानों की विफलताओं की सच्चाई पर गौर किया जावे तो उनमे उनका दायित्व का निर्वहन सही रुप से नहीं किये जाने का परिणाम सामने आने से नहीं चूकता है कुछ इसी प्रकार की सच्चाई इस समय शिक्षा के क्षेत्र में भी आसानी से देखने मिल रही है जिसके चलते बीते हुए माह यानि की 16जून को शालाओं में प्रवेशोत्सव का आयोजन के बाद क्षेत्र में चल रहे स्कूल चले हम अभियान के तहत निजी शिक्षण संस्थाओं में गरीब रेखा के अर्तगत आने वाले बच्चों को 25 प्रतिशत प्रवेश देने का प्रवाधान अनिवार्य किया गया है जिसके चलते सभी निजी शिक्षण संस्थाओं में इस नियम के तहत प्रवेश लेने के लिए आनलाईन व्यवस्था के तहत प्रवेश की प्रक्रिया को लागू किया गया था मगर इस प्रवेश तिथि के दौरान जहां काफी समय तक पोर्टल नहीं खुलने के कारण अनेक अभिभावक अपने बच्चों के प्रवेश संबंधी फार्म नहीं भर पाये और आये दिन सरर्वर की गडबडी के चलते बंचित रह गये अब स्थिति इस प्रकार से देखी जा रही है कि अनेक शिक्षण संस्थाओं में इस प्रकार से गरीब बच्चों को प्रवेश देने से इंकार किया जाने लगा है जबकि शासन के निर्देश पर चलाए जा रहे स्कूल चले हम अभियान में अभिभावकों को 6 से 14 वर्ष की उम्र तक के बच्चों को स्कूलों में अध्ययन करने भेजने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था और स्कूल चले हम अभियान को सफल बनाने का आहवान करते हुए शिक्षा केंद्र के अधिकारियों का कहना था कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की है प्रवेश के हर बच्चे को शिक्षित करने की मंशा के तहत स्कूल चले हम अभियान चलाया जा रहा है।

-विशाल रजक,मध्यप्रदेश

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