बरेली। भाई दूज हिंदू धर्म का महत्वपूर्ण पर्व है जो भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को मजबूत करता है। इसे हर साल कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। भाई-बहन के बीच अटूट प्रेम के प्रतीक भाई दूज का पर्व तीन नवंबर रविवार को मनाया जाएगा। यह कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाया जाता है। ज्योतिषाचार्य ने बताया कि द्वितीया की शुरुआत शनिवार की रात आठ बजकर 21 मिनट से हो चुकी है। रविवार को पूरे दिन व्याप्त रहने के बाद रात में 10 बजकर चार मिनट पर समापन होगा। इन योग मे यम देव की पूजा करने से अक्षय फल की प्राप्ति होगी। इस बार पर्व सौभाग्य और शोभन योग के संयोग में होगा। इस कारण पर्व का महत्व कई गुना अधिक बढ़ गया है। ज्योतिषाचार्य ने बताया कि सौभाग्य योग जहां भाग्य को जागृत करता है। वही शोभन योग परमात्मा की कृपा से सुशोभित है। इस दिन बहनें भाई को तिलक लगाती है। उनके जीवन में सुख-समृद्धि की कामना करती है। भाई भी अपने बहनों को उपहार देकर उनके सुखी जीवन का आशीर्वाद देते हैं। इस पर्व को भैया दूज, भाई टीका, यम द्वितीया, भ्रात द्वितीया, भाऊ बीज, भतरु द्वितीया आदि कई नामों से जाना जाता है। भाई दूज के दिन ही पंच दिवसीय दीपोत्सव का भी समापन होता है। दूज के दिन बहनें अपने भाई को सुविधा अनुसार पर यम देव की पूजा कर सकती हैं। वही दोपहर 01 बजकर 10 मिनट से लेकर 03 बजकर 22 मिनट के मध्य भाई के हाथ पर रक्षा सूत्र बांध कर टीका लगा सकती हैं। इस समय अपने भाई के सुख और सौभाग्य में वृद्धि के लिए यम देव से कामना कर सकती हैं। वही भाई आर्थिक स्थिति के अनुसार अपनी बहन को उपहार दे सकते है।।
बरेली से कपिल यादव