मध्यप्रदेश/ तेन्दूखेड़ा / दमोह- 5नवम्बर को धनतेरस का पर्व धूमधाम से मनाया जाएगा।इस बार धनतेरस हस्त नक्षत्र एवं सोम प्रदोष के शुभ योग में मनाई जाएगी। शास्त्रों के अनुसार धनतेरस पर खरीदारी करने से 13गुना फल प्राप्त होता है।इस दिन पूरे बाजार में जबरदस्त खरीदारी का योग बनेगा।धनतेरस को लेकर बर्तन व सराफा कारोबारियों ने भी अभी से तैयारियां प्रारंभ कर दी है।
बाजार में तैयारियां जोरों पर:-
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार धनतेरस पर्व 5 नवम्बर को कार्तिक मास कृष्ण पक्ष को मनाया जाएगा।संपदा आरोग्य एवं आयुष प्राप्त करने का विशेष दिन धनतेरस को माना जाता है।धनतेरस 5उत्सवों के साथ मनाया जाएगा। इसमें धन्वंतरि जंयती सोम प्रदोष कुबेर पूजन और यमतर्पण व यमदीप दान होगा।इस दिन हस्त नक्षत्र के साथ दग्ध नक्षत्र रात्रि 8.39 से प्रारंभ होगा ।हस्त नक्षत्र में खरीदारी करना शुम रहेगा।यमदीप दान प्रदोष बेला में शाम 5.40 बजे से रात 8बजे तक करना शुभ है।वहीं कुबेर पूजन का समय 10.35से दोपहर1.25 तक रहेगा।दोपहर से शाम तक गणेश लक्ष्मी चांदी के धातु के बर्तन इलेक्ट्रोनिक्स आयटम वाहन मिट्टी के दिए श्रीयंत्र झाडू नमक कौंडी शंख आदि की खरीदारी इस समय शुभ रहेगा।इस दिन किसी को उपहार देना ठीक नहीं होता है।
अकाल मृत्यु से मिलेगी मुक्ति:-
धनतेरस के दिन यमराज के निर्मित व्रत रखने के साथ यमतर्पण और शाम के समय दीपदान दक्षिण दिशा में तिल के तेत का चौमुखा दीपक घर के बाहर चौराहा पर रखने से अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति मिलती है।
सोना खरीदने का मुहूर्त:-
धनतेरस वाले दिन सुबह6 बजकर 39मिनट से रात्रि 11.46बजे तक सोना खरीदने के लिए शुभ है इस दिन सोना खरीदने से धन की वृद्धि होगी है वहीं राहुकाल में खरीदारी नहीं करें।
रात्रि में करें कुबेर का पूजन:-
रात्रि के समय धन के देवताओं कुबेर का पूजन करना चाहिए।आज के दिन आरोग्य के देवता भगवान धन्वंतरि का प्राकट्य समुद्र मंथन के दौरान क्षीरसागर से हुआ था।ये भगवान विष्णु के अंशावतार माने जाते हैं।संमुद्र मंथन के से अमृत कलश लेकर धन्वंतरि देवता का ही प्राकट्य हुआ था।इन्हें आयुर्वेद का जनक माना जाता है।
धनतेरस पूजा के मुहूर्त:-
धनतेरस पूजा मुहूर्त शाम 6.5मिनट से रात्रि8.5बजे तक रहेगा।प्रदोष बेला शाम 5.29बजे से 8.7मिनट तक रहेगी।वृषभ काल 6 बजकर 5मिनट से 8बजकर1मिनट तक रहेगा।वहीं त्रयोदशी तिथि का रात्रि1बजकर24मिनट से 5नवम्बर को सुबह 11.46 मिनट तक रहेगा।
– विशाल रजक, मध्यप्रदेश