बरेली। सुप्रीम कोर्ट से मिली अंतरिम राहत के बाद सूफीटोला क्षेत्र मे शादी हॉलों पर चल रही बीडीए की बुलडोजर कार्रवाई गुरुवार को थम गई। तीसरे दिन तोड़फोड़ के लिए पहुंची बीडीए टीम को जैसे ही शीर्ष अदालत के स्टे आदेश की जानकारी मिली। बुलडोजर वापस लौटाने पड़े। आदेश की प्रति दिखाने को लेकर मौके पर बीडीए अधिकारियों और याची पक्ष के अधिवक्ताओं के बीच कुछ देर कहासुनी भी हुई लेकिन स्टे की पुष्टि होते ही कार्रवाई रोक दी गई। सुप्रीम कोर्ट ने 10 दिसंबर तक यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया है। साथ ही मामले को हाईकोर्ट मे चुनौती देने की अनुमति भी दे दी है। सूफीटोला मे बारातघरों पर मंगलवार और बुधवार की कार्रवाई के बाद गुरुवार सुबह करीब 11 बजे बीडीए की टीम दो बुलडोजर, पोकलेन मशीन और भारी पुलिस बल के साथ पहुंची। सुबह 11:30 बजे के बाद बीडीए की टीम ने ऐवान-ए-फरहत बारातघर के बचे हुए आवासीय हिस्से को ढहाने का काम शुरू कर दिया। तभी बारातघर के मालिक सरफराज वली खां अपने बेटे सैफ वली खां के साथ मौके पर पहुंचे और अधिकारियों को बताया कि सुप्रीम कोर्ट से उन्हें स्टे मिल चुका है। बीडीए अधिकारियों ने स्टे आदेश की प्रति दिखाने को कहा और 15 मिनट का समय दिया। कुछ ही देर बाद बारातघर मालिक पक्ष के अधिवक्ता स्टे की कॉपी लेकर मौके पर पहुंच गए। उन्होंने आदेश बीडीए टीम को दिखाया। जिसके बाद अधिकारियों ने तुरंत कार्रवाई रोक दी। हालंकि इससे पहले स्टे कॉपी को लेकर बीडीए अधिकारी और अधिवक्ताओं के बीच कुछ देर कहासुनी हुई। इसके बाद दोपहर 12:15 बजे बीडीए टीम बुलडोजर, पोकलैन मशीन समेत वापस लौट गई। पुलिस ने सड़क के दोनों ओर से लगाई गई बैरिकेडिंग हटाकर मार्ग खोल दिया। जिससे इलाके मे सामान्य आवागमन बहाल हो गया। बुलडोजर हटते ही बारातघर मालिक सरफराज वली खान, राशिद के परिवार और पूरे मोहल्ले के लोगों ने राहत की सांस ली। याचिकाकर्ताओं को हाईकोर्ट जाने की छूट सूफीटोला मे बारातघरों पर चल रही ध्वस्तीकरण कार्रवाई पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा हस्तक्षेप किया। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेंटा की पीठ ने फरहत जहां व अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य एवं अन्य मामले की सुनवाई करते हुए 10 दिसंबर तक के लिए कार्रवाई पर रोक लगा दी। कोर्ट ने यह भी माना कि याचिका मे प्रस्तुत सामग्री के अनुसार ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया न केवल शुरू हो चुकी है बल्कि कुछ हिस्सों को आंशिक ढहाया जाना भी सामने आया है। ऐसी स्थिति में किसी भी अपूरणीय क्षति से बचाने के लिए अंतरिम संरक्षण देना आवश्यक है। पीठ ने आदेश देते हुए कहा कि दोनों पक्ष 10 दिसंबर तक मौके पर यथास्थिति बनाए रखें। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को यह स्वतंत्रता दी है कि वे चाहें तो प्रकरण को उच्च न्यायालय की उचित पीठ के समक्ष रख सकते हैं, जिससे मामले की विस्तृत सुनवाई आगे की जा सके। बीडीए के सयुंक्त सचिव दीपक कुमार ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में कार्रवाई को रोका गया है। हालांकि आदेश में सात दिन का समय दिया गया है। इसके बाद जो भी निर्णय होगा। उसका पालन किया जाएगा।।
बरेली से कपिल यादव
