बरेली। जनपद के थाना हाफिजगंज क्षेत्र के गांव भानपुर मे ग्रामीणों ने बुधवार देर रात सियार को मौत के घाट उतार दिया। उसके पैर भी काट दिए। इससे पहले 12 सितंबर को आंवला के गांव रम्पुरा में भी ग्रामीणों ने सियार को मार डाला था। भानपुर गांव में सोमवार रात सियार ने प्रेमपाल पर हमला कर दिया था। उनके बेटे पुष्पेंद्र ने बचाने की कोशिश की तो उसे भी सियार ने हमला कर घायल कर दिया। इसके बाद से वन विभाग की टीम गांव में लगातार कांबिंग कर रही थी। बुधवार रात सियार फिर से गांव में घुस आया। हमले को लेकर ग्रामीण पहले से सतर्क थे। इसी दौरान ग्रामीणों ने उसे घेर लिया और पीट-पीटकर मार डाला। उसके शव को गांव में नहर किनारे फेंक दिया गया। गुरुवार को सूचना पर वनरक्षक माधो सिंह पहुंचे और मृत सियार को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए आईवीआरआई भेजा। सियार के पैर भी कटे हुए थे। माना जा रहा है कि किसी वन्यजीव ने उसके मांस को भी नोंचने की कोशिश की थी। रम्पुरा गांव में सियार ने एक ही रात में हमला कर 20 ग्रामीणों को घायल कर दिया था। इसके बाद ग्रामीणों ने उसको भी मार गिराया। सूचना पर पहुंची वन विभाग की टीम को सियार का शव नही मिल सका था। वन्यजीव की हत्या मे कार्रवाई के डर से ग्रामीण बाद में हत्या करने की बात से भी मुकर गए थे। एसडीओ केएन सिंह ने बताया कि भानपुर मे सियार की हत्या किए जाने की सूचना पर टीम मौके पर गई थी। सियार का शव कब्जे में लिया गया है। जिले की गन्ना बेल्ट में सियार के ज्यादा हमले हो रहे हैं। रेंजर वैभव चौधरी का कहना है कि खेतों में पानी भरा होने के कारण सियार बाहर आ रहे हैं। सियार खुद ही स्वभाव से काफी डरपोक होते है। उनका प्रजनन काल भी चल रहा है। जब उसको महसूस होता है कि वह असुरक्षित है तो वह हमला करता है। अब तक जो भी हमले हुए है। वह उन्हीं इलाकों मे है। जहां गन्ने की पैदावार बहुतायत में होती है।।
बरेली से कपिल यादव