सिद्धू का इस्तीफा : राज्य में गहलोत की स्थिति मजबूत

बाड़मेर/राजस्थान- जिस समय नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया था, उसी वक्त मरूधरा में चुनावी चौपाल अर राजनीतिक चर्चाओं ओर उनकी मंत्रणाओं के साथ ही घोषणा कर दी थी कि यह कांग्रेस के लिए आंतरिक कलह की बहुत बड़ी शुरुआत हो गई है । आज सिद्धू द्वारा कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद पंजाब कांग्रेस में जबरदस्त कोहराम मच गया है। सिद्धू का इस्तीफा देना निवर्तमान मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के लिए सबसे बड़ी सुखद खबर है ।

कांग्रेस को डुबोने पर आमादा राहुल गांधी ने तो नवजोत सिंह सिद्धू को न केवल पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया बल्कि कैप्टन से इस्तीफा लेकर चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाकर राहुल ने अपनी मूर्खता का परिचय दिया । चन्नी को मुख्यमंत्री बनाए जाने से कैप्टन बेहद खफा थे । उन्होंने सार्वजनिक रूप से बयान देकर राहुल और प्रियंका की खिल्ली भी उड़ाई थी।

ज्ञात हुआ है कि कैप्टन की ओर से कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को धमकी दी गई कि नवजोत सिंह सिद्धू की मनमानी पर लगाम नही लगाया गया तो वे बीजेपी में चले जाएंगे । उधर नए मुख्यमंत्री चन्नी ने भी नवजोतसिंह सिद्दू से किनारा करना प्रारम्भ कर दिया । सभी सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को हिदायत दी गई कि वे सिद्धू के किसी भी आदेश को नही माने । यह भी ज्ञात हुआ है कि कैप्टन के इशारों पर चन्नी ने प्रशासन को अपने कब्जे में कर लिया ।

मैं पहले ही अपनी खबरों में लिख चुका हूँ कि पंजाब की तर्ज पर राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन कभी नही होगा । पंजाब की ताजा घटनाओं के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की स्थिति पहले से ज्यादा मजबूत होगई है। अब राहुल गांधी या सोनिया गांधी वो गलती दुबारा नही करेंगे जो पंजाब में पिछले दिनों की गई है । राहुल-सोनिया प्रियंका गांधी से दो-तीन बार मुलाकात करने के बाद यह माना जा रहा था कि सचिन पायलट के आगे जादूगर अशोक गहलोत को घुटने टेकने पड़ेंगे । लेकिन अब स्थितियां पूरी तरह बदल गई है ।

पंजाब की घटना से यह तो तय हो गया है कि राहुल गांधी का निर्णय पार्टी के लिए आत्मघाती था । राहुल के सक्रिय होने के बाद निरन्तर कांग्रेस का पतन होता जा रहा है । देश मे राज करने वाली कांग्रेस पार्टी आज केवल राजस्थान, पंजाब और छतीसगढ़ तक सिमट कर रह गई है । राहुल द्वारा कैप्टन को हटाने से पंजाब में कम से कम 25 सीटों का नुकसान होना सुनिश्चित है ।

– राजस्थान से राजूचारण

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