बरेली। शहर की सबसे पुरानी और प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्थाओं मे एक साहित्य सुरभि की 359वीं मासिक काव्य गोष्ठी मढ़ीनाथ स्थित एक आवास पर आयोजित की गई। वरिष्ठ गीतकार एवं गजलकार कमल सक्सेना की उत्कृष्ट रचनाओं को खूब पसंद किया गया।
इस कदर हम जिंदगी से हारकर बैठे रहे,
घर हमारा था मगर हम द्वार पर बैठे रहे।
नाव मे बैठे ही थे वो मिल गया साहिल उन्हें, हम मगर सातों समंदर पारकर बैठे रहे।
संचालन कर रहे वरिष्ठ कवि ब्रजेंद्र अकिंचन की इस गजल का भी हर शेर खूब पसंद किया गया।
नजर की जद मे आ जाता, कहां ऐसा हुआ होगा
वो आंसू था, न सपना था तुम्हें धोखा हुआ होगा।
धुआं पहले ही तय साजिश मे जब ठंडा हुआ होगा
कही जाके किसी फिर आग का सौदा हुआ होगा।
विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ कवि-पत्रकार गणेश पथिक ने अपने गीत से खूब वाहवाही बटोरी। युवा कवि प्रताप मौर्य मृदुल ने पीढ़ियों के बीच बढ़ते फासले को मार्मिक स्वरों मे वाणी दी तो सब भावुक हो उठे। अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ कवि रणधीर प्रसाद गौड़ धीर भी अपनी इस गजल और एक उत्कृष्ट गीत को सुनाकर वाहवाही और तालियां बटोरते रहे। मुख्य अतिथि अश्विनी कुमार सिंह तन्हा की उत्कृष्ट रचनाए भी खूब प्रशंसित हुई। गोष्ठी के संयोजक वयोवृद्ध कवि राममूर्ति गौतम गगन के गीत और गजल को भी खूब सराहा गया और काव्य प्रेमी हर पंक्ति पर तालियां बजाते रहे।।
बरेली से कपिल यादव