बरेली। जनपद के थाना प्रेमनगर पुलिस ने साइबर ठगों को बैंक खाते उपलब्ध कराने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया है। पुलिस ने चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है। उनके पास से 100 से ज्यादा बैंक खाते मिले है। इनमें देश के अलग-अलग हिस्सों से करोड़ों रुपये का लेनदेन हुआ है। आठ जाली आधार कार्ड, कई मोबाइल फोन और तीन बाइकें भी बरामद की गई है। आरोपियों ने पूछताछ मे अपने तीन अन्य साथियों के नाम भी पुलिस को बताए हैं। उनकी तलाश की जा रही है। एसपी सिटी मानुष पारीक ने बताया कि राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी) पर कई राज्यों से दर्ज साइबर ठगी की शिकायतों में बैंक खाते और मोबाइल नंबर बरेली से जुड़े पाए गए थे। इसके आधार पर आरोपियों की तलाश में पुलिस और साइबर क्राइम सेल को लगाया गया था। मंगलवार रात आठ बजे पुलिस और साइबर क्राइम सेल की टीम ने धोबीपुर चौराहा से डीडीपुरम की ओर जाने वाली बंद पड़ी रेल लाइन के पास से चार संदिग्धों को हिरासत मे लिया। पूछताछ मे उन्होंने अपने नाम इज्जतनगर थाना क्षेत्र के परतापुर चौधरी निवासी मुशर्रफ, किला थाना क्षेत्र के चौधरी तालाब निवासी अब्दुल रज्जाक, शिवम गोस्वामी और सीबीगंज थाना क्षेत्र के जौहरपुर निवासी निशांत श्रीवास्तव बताए। तलाशी में संदिग्धों के पास से कई बैंक पासबुक, बैंक में रुपये जमा करने की रसीदें, एक ही नंबर के जाली आधार कार्ड मिले। सख्ती से पूछताछ करने पर आरोपियों ने साइबर ठगों और हवाला कारोबारियों को बैंक खाते उपलब्ध कराने की बात स्वीकार की। यह भी बताया कि बैंक खाते उपलब्ध कराने के बदले उनको मोटा कमीशन मिलता था। उन्होंने बताया कि चौधरी तालाब निवासी हामिद, प्रेमनगर थाना क्षेत्र के बानखाना निवासी मोहित और बदायूं निवासी जीशान भी उनके गिरोह मे शामिल है। एसपी सिटी ने बताया कि आरोपियों से पूछताछ की जा रही है। अब तक देश के कई राज्यों से करोड़ों की ठगी सामने आ चुकी है। जांच में सामने आया है कि साइबर ठगों को बैंक खाते उपलब्ध कराने वाले गिरोह के तार देश के कई राज्यों से जुड़े हुए है। इन राज्यों में राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी) पर दर्ज कराई गई शिकायतों की जांच की कई तो बैंक खाते और मोबाइल नंबर बरेली के निकले। इसके बाद से ही साइबर क्राइम सेल गिरोह का भंडाफोड़ करने मे जुटी हुई थी। अधिकारियों का कहना है कि वांछित आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद कुछ और खुलासे हो सकते है। गिरोह के सरगना मुशर्रफ ने पूछताछ मे बताया कि वह उत्तराखंड की एक फैक्टरी मे काम करता था। वहां उसकी मुलाकात कुछ लोगों से हुई। उन्होंने कहा कि अगर कुछ बैंक खाते उपलब्ध कराओ तो कमीशन के रूप मे मोटा मुनाफा हो सकता है। इसके बाद बरेली आकर उसने गिरोह तैयार किया। अब्दुल, निशांत, शिवम, हामिद, मोहित जीशान के जरिये वह ठेला-खोमचा वालों को लालच देकर बैंक मे उनके खाते खुलवाते थे। पूरी डिटेल, एटीएम, यूपीआई आदि अपने पास रखते थे। साइबर ठगी और हवाला के जरिये इन खातों मे जो रुपये आते थे वह रुपये निकालने के बाद दूसरे खातों मे जमा कर दिया करते थे। इसके बदले उनको कमीशन मिलता था। अगर किसी मामले का खुलासा होता था तो वह साफ बच जाते थे क्योंकि बैंक खाते से उनका कोई सरोकार नही होता था।।
बरेली से कपिल यादव