सरकारी मॉडल विद्यालयों में भौतिक संसाधन भी न होने से नौनिहाल नीचे बैठकर पढ़ने को है मजबूर

*भाजपा नेता के द्वारा गोद लिया गया मॉडल विद्यालय रो रहा है भौतिक संसाधनों का रोना?
*बच्चो को अभी तक नही मिल पाई इग्लिश मीडियम वाली किताबें
*आखिर कौन सी सुविधा पर अभिभावक अपने बच्चों को भेजे मॉडल अंग्रेजी मीडियम वाले स्कूलों में
*प्राथमिक विद्यालय का नाम तो मॉडल स्कूल में तो बदल गया लेकिन व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त है

अम्बेडकरनगर,ब्यूरो- सरकार ने अधिकारियों संग मिल कर आपा धापी में भले ही मॉडल स्कूल पर प्लान किया लेकिन समुचित व्यवस्था आज भी इस मॉडल विद्यालयों को नहीं मिल पाई है स्कूल तो मॉडल हो गया लेकिन भौतिक संसाधन अभी तक मॉडल नहीं हो पाए है और बच्चे आज भी नीचे टाट ञञ पर बैठकर पढ़ाई कर रहे हैं।
आपको बता दें कि जिस वक्त मॉडल स्कूल घोषित किए जा रहे थे उस वक्त तो भाजपा नेताओं ने खूब राजनीति की रोटी सेकते हुए मॉडल स्कूल सहित साधारण विद्यालय तो गोद ले लिया लेकिन शायद नेताजी भूल चुके हैं कि आखिर गोद किस चिड़िया का नाम है शिक्षा व्यवस्था मॉडल स्कूल होने से तो सुधरी नहीं और तो और शिक्षा व्यवस्था का स्तर पहले से भी ज्यादा गिरता हुआ दिखाई पड़ रहा है जो कि बच्चों के भविष्य के लिए बहुत ही हानिकारक साबित हो रहा है । स्कूल तो मॉडल के रूप में बदल गया लेकिन आज तक भौतिक संसाधनों के ना होने का रोना भी रो रहा है।
आइए साक्ष्य से अवगत कराते हैं इस संवाददाता ने जब टांडा शिक्षा क्षेत्र के सरकारी मॉडल अंग्रेजी मीडियम स्कूल केदारनगर का जायजा लिया तो वहां की स्थिति को देख ऐसा लगा जैसे किसी वीरान खंडहर में घुस गए हो यहां पर भौतिक संसाधनों के ना होने से बच्चे आज भी नीचे टाट पट्टी पर ही बैठकर पढ़ाई कर रहे हैं इंग्लिश मीडियम की किताबें भी अभी तक बच्चों में वितरण नहीं हो पाई हैं किताबों के वितरण के बारे में जब वहां के अध्यापक से पूछा गया तो उन्होंने बताया की अभी तक इंग्लिश मीडियम की सिर्फ दो ही किताबें मिल पाई है जो कि लिखा-पढ़ी में है रजिस्टर में संलग्न कर दी गई है उन्होंने यह भी कहा कि अगर मॉडल स्कूल की बात हम अभिभावक से करें तो कैसे करें कई बार उच्च अधिकारियों को इस मामले से अवगत भी कराया गया है। अधिक जानकारी में पता चला है कि इस विद्यालय को भाजपा के पूर्व जिला अध्यक्ष शिव नायक वर्मा ने गोद लिया था लेकिन जब वह स्थिति को सरकार में रहते हुए नहीं संभाल पाए तो इस मॉडल स्कूल को छोड़ गए फिर एक भाजपा नेता ने नाम कमाने के लिए इस मॉडल स्कूल को गोद लिया लेकिन नेताजी शायद ही कोई दिन ऐसा होगा कि नेताजी अपने पवित्र कदम इस विद्यालय में रखे होंगे स्कूल का नाम तो बदल गया लेकिन स्थिति आज भी पहले की तरह ही है, यह कमी यहां के प्रधानाध्यापक की नहीं बल्कि उन जिम्मेदारों की है जिन्होंने इस विद्यालय को चयनित किया है।
ब्यूरो रिपोर्ट,अम्बेडकरनगर।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *