संजयनगर के श्मशान में ईट-मिट्टी से बनाए जा रहे अस्थायी चबूतरे

बरेली। शहर के श्मशान स्थलों पर कोरोना काल मे अन्य दिनों के मुकाबले तीन से चार गुना ज्यादा शव पहुंच रहे हैं। ऐसे में श्मशान स्थल पर व्यवस्थाएं अस्त-व्यस्त हो गई हैं। व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के लिए श्मशान घाटों पर ईट-मिट्टी के अस्थायी चबूतरे बनाए जा रहे हैं। आपको बता दे कि संजयनगर श्मशान भूमि में 15 से 20 चिताएं एक साथ जलाने के लिए ईट-मिट्टी का बड़ा चबूतरा तैयार करने का काम शुरू हो गया है। पक्का चबूतरा बनने में अभी समय लगेगा। कोरोना का कहर बढ़ने के साथ ही संजयनगर, गुलाबबाड़ी व सिटी श्मशान भूमि में अंत्येष्टि के लिए शवों की संख्या काफी बढ़ गई है। सिटी श्मशान भूमि पर 33 चबूतरे बने हैं। दाह संस्कार के बाद तीन दिन तक अस्थियां एकत्र नहीं की जाती हैं। ऐसे में चबूतरे खाली न होने की वजह से ज्यादातर शवों के दाह संस्कार के लिए जमीन पर भी चिताएं तैयार की जा रही है। नगर निगम प्रशासन ने इस दिक्कत को देखते हुए इन दोनों श्मशान घाटों के साथ ही गुलाबबाड़ी श्मशान स्थल पर नए चबूतरे तैयार करने का निर्णय लिया था। इसके तहत संजयनगर में ईट-मिट्टी से नया चबूतरा तैयार किया जा रहा है। इस पर एक साथ 15 से 20 शवों की अंत्येष्टि की जा सकती है। संजयनगर श्मशान भूमि ट्रस्ट के जनरल सेक्रेटरी महेंद्र पटेल का कहना है कि पक्का चबूतरा बनाने के लिए कम से कम 15 से 20 दिन का समय चाहिए, क्योंकि जब तक नवनिर्मित चबूतरे को कई दिनों तक अच्छी तरह से पानी नहीं दिया जाएगा, तब तक वह मजबूत नहीं होगा। शव जलाने के दौरान चबूतरा चटक सकता है। उधर गुलाबबाड़ी और सिटी श्मशान भूमि पर इसी तरह के चतूबरों का निर्माण कराया जा रहा है। हालांकि इन चबूतरों पर टीनशेड नहीं बिछाया गया है। ऐसे में मौसम खराब होने या बारिश होने पर इन नवनिर्मित चबूतरों पर शवों का अंतिम संस्कार करने में दिक्कत आएगी।।

बरेली से कपिल यादव

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *