श्रृंग्वेरपुरधाम। श्रावण माह की पूर्णिमा पर श्रृंग्वेरपुरधाम मे विप्रजनों ने श्रवणी उपाक्रम मनाया। जिसमे सैकड़ो विद्वान जुटे रहे। प्रातः 5बजे से ही गंगा घाट पर स्नान के साथ यह प्रक्रिया प्रारम्भ हुई। आचार्य बलराम शुक्ल, त्रिपुरारी नाथ शुक्ल और आचार्य मोतीलाल बताते है कि यह जीवन जीने की एक वैज्ञानिक प्रकिया है। यह प्रकृति की सहज प्रक्रिया है। श्रावणी उपाक्रम श्रावण शुक्ल पंचमी को ही किए जाने की व्यवस्था है। कई पुराणों में इसका जिक्र मिलता है जिसमें हेमाद्री कल्प, स्कंदपुराण, निर्णय सिंधू, धर्मसिंधू आदि है। श्रावणी पर्व जीवन को प्रखर बनाने का पर्व है। श्रावणी उपाक्रम के तीन पक्ष है जिनमें प्रायश्चित संकल्प, संस्कार और स्वाध्याय। जिनमें यज्ञोपवीत या जनेऊ आत्म संयम का संस्कार है। यह वह दिन है जिनका संस्कार हो चुका है वह पुराना यज्ञोपवीत उतारकर नया धारण करते है और पुराने यज्ञोपवीत का पूजन भी करते है। यही सबकुछ त्रिवेणी नदी के संगम पर देखने को मिला। यह जीवन शोधन की अति महत्वपूर्ण मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक प्रक्रिया है। श्रृंग्वेरपुर महोत्सव के अध्यक्ष संजय तिवारी और महामंत्री अरुण द्विवेदी ने विप्रजनों को अंगवस्त्र भेंट करते हुए अपने वक्तव्य रखे। इस दौरान सुमित त्रिपाठी, कृष्ण मूर्ति, घनश्याम द्विवेदी, कमलेन्द्र उपाध्याय, प्रभाशंकर पाण्डेय, विवेक शुक्ल शेष नारायण मिश्र, नर्सिंह नारायण, शिवाकांत त्रिपाठी, धीरज शुक्ल, शिव प्रकाश शुक्ल, अरुण द्विवेदी, शिवकुमार उपस्थित रहे।