हमीरपुर – श्रीरामचरितमानस ग्रंथ के रचयिता तुलसीदास की जयंती के पर बुंदेलखण्ड अभिव्यक्ति साहित्यिक संस्थान के तत्वाधान गुरुकुलम विद्यालय में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया।कार्यक्रम का प्रारंभ मां वीणापाणि की अर्चना वंदना के साथ हुआ। नारायण प्रसाद रसिक द्वारा मां सरस्वती की वंदना का गायन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री बद्री प्रसाद द्वारा की गई। कवि अवधेश कुमार साहू बेचैन द्वारा तुलसीदास जी को याद करते हुए कविता पढ़ी गई कि “रामचरित मानस को लिखकर किया बहुत उपकार ।
ऐसे सन्त सरोज को, नमन है बारम्बार “
मोहम्मद सलीम ने पढ़ा
कायम रहने दो भाई चारा,
हम सब भारतवासी हैं।
ख्वाजा की दरगाह यहां है यहीं पर मथुरा काशी है।कवि अर्पित सागर ने अपराध को रक्तबीज की उपाधि देकर काव्यपाठ किया कि”मैं टूटकर बिखरा तो जहाँ जहाँ गिरा वहां वहां से उग खड़ा हुआ वो मैं ही हूं जिसे रक्तबीज कहते हैं।”डा. ज्ञानेंद्र द्विवेदी ने काव्य पाठ किया कि ” स्वर्णिम पल बन जायेंगे भावपूर्ण गौरव जागेगा।
झंडा ऊँचा रहे हमारा चन्दा मामा जानेगा ||”वहीं कवि नारायन प्रसाद रसिक ने तुलसीदास जी को याद करते हुए सुनाया कि यदि रत्ना ने पति को धिक्कारा न होता वासना की कामनाओं को नकारा न होता। रामबोला बने रहते तुलसीदास न होते, गर तुलसी दास ने राम को पुकारा न होता। वहीं संस्था के अध्यक्ष बद्रीप्रसाद द्विवेदी ने सुनाया कि सुमन समर्पित तुमको है मानस के रचना कार |वाणी के हैं पुष्प समर्पित चरणों में कर लो स्वीकार। कवि प्रेमपाल द्विवेदी ने काव्यपाठ किया किहर सांस वंशी में तुलसी के गीतहर दर्द हँसता है, बनकर के मीत “गीतकार पुष्पेंद्र कृष्ण गुप्ता ने भी तुलसीदास जी पर अपने विचार व्यक्त किए।इस अवसर पर विद्यालय गुरुकुलम प्रबंधक सत्य प्रकाश गुप्ता उपस्थित रहे।
श्रीरामचरितमानस के रचयिता तुलसीदास की जयंती पर काव्य गोष्ठी का किया गया आयोजन
