बरेली/फतेहगंज पश्चिमी। कस्बे के मोहल्ला साहूकारा स्थित लक्ष्मी नारायण मंदिर परिसर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन कथावाचक पूज्य महाराज योगेश ब्रजवासी जी ने राजा परीक्षित का प्रसंग सुनाया। कथा वर्णन करते हुए पूज्य महाराज योगेश बृजवासी ने कहा कि एक बार परीक्षित महाराज वनों मे काफी दूर चले गए। वहां कुरुक्षेत्र मे इन्होंने देखा एक आदमी बैल को मार रहा है। वह आदमी जो की वास्तव में कलियुग था। उसको इन्होंने तलवार खींचकर आज्ञा दी कि यदि तुझे अपना जीवन प्यारा है तो मेरे राज्य से बाहर हो जा। तब कलियुग ने डरकर हाथ जोड़कर पूछा कि महाराज समस्त संसार में आपका ही राज्य है फिर मैं कहा जाकर रहूं। राजा ने पांच स्थान बताते हुए कहा जहां मदिरा, जुआ, जीव हिंसा, वैश्या और सुवर्ण हो वहां जाकर रहो। एक बार राजा सुवर्ण का मुकुट पहनकर आखेट खेलने के लिए गये। वहां प्यास लगने पर घूमते घूमते शमीक ऋषि के आश्रम पर पहुंचकर जल मांगा। उस समय ऋषि समाधि लगाए हुए बैठे थे। इस कारण कुछ भी उत्तर नही दिया। राजा के सुवर्ण मुकुट में कलियुग का वास था। उससे इनको सूझी कि ऋषि घमंड के मारे मुझसे नही बोलता है। इन्होंने एक मरा हुआ सांप ऋषि के गले मे डाल दिया। घर आकर अब जब मुकुट सिर से उतारा तो इनको ज्ञान पैदा हुआ। इधर जब ऋषि के पुत्र श्रृंगी ने यह समाचार सुना तो वह अत्यंत क्रोधित हुआ उसने तुरंत ही यह श्राप दिया की आज के सातवे दिन यही तक्षक सांप राजा को डसेगा। ऋषि ने समाधि छूटने पर जब श्राप का सब हाल सुना तो बड़ा पछतावा किया। किंतु अब क्या हो सकता था। आखिर राजा के पास श्राप का सब हाल कहने के लिए भेजा। राजा ने जब यह हाल सुना तो संसार से विरक्तत होकर अपने बड़े पुत्र जन्मेजय को राजगद्दी सौंप दी और गंगा जी के किनारे पर आकर डेरा डाल दिया। वहां अनेक ऋषि मुनियों को इकट्ठा किया। संयोग से शुकदेव जी भी वहां आ गये और राजा को श्रीमद्भागवत की कथा सुनाई। सात दिन तक बराबर कथा सुनते रहे और भगवान में ऐसा मन लगाया कि किसी बात की सुधि ना रही और सातवें दिन तक्षक सर्प ने आकर डस लिया और राजा परमधाम को प्राप्त हुए। तब से लेकर अब तक श्रीमद्भागवत कथा 7 दिनों तक चलती है। अंत मे योगेश ब्रजवासी जी ने कथा सुनाते हुए कहा कि सत्य है भगवान का चरित्र भक्तिपूर्वक सुनने से धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष चारो पदार्थ अनायास ही मिल जाते है। श्रीमद्भागवत सुनने के लिए भारी संख्या मे भीड़ रही।।
बरेली से कपिल यादव