बरेली/फ़तेहगंज पश्चिमी- वर्तमान समय में लॉक डाउन के समय में अभिभावकों द्वारा फीस छूट की मांग की जा रही है जो कि एकदम उचित व जनहित में है क्योंकि आज के वक्त में अधिकतर स्कूल जोकि CBSE बोर्ड व ICSE बोर्ड से मान्यता प्राप्त हैं उन्होंने फीस व अन्य खर्चों के नाम पर अभिभावकों का बजट बिगाड़ रखा है और शिक्षा को व्यापार के रूप में स्थापित कर रखा है और विद्यालयों से अकूत सम्पति पैदा की है लेकिन वर्तमान में अपने स्टाफ को वेतन देने में भी आनाकानी कर रहे हैं जोकि एकदम गलत है करोना काल में आमदनी रहित अभिभावकों पर स्कूलों की पूरी फीस जमा करने के लिये दवाव बना रहे हैं और फीस बसूली न होने पर स्टाफ की तनख्वाह देने में मजबूरी जता रहे हैं जबकि ऐसा कदापि नही है उनका उद्देश्य हर हालात में धन पैदा करना है इसके विपरीत U.P.बोर्ड के स्कूल बेहद कम फीस में ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षा की अलख जगाए हुए हैं लेकिन कुछ अभिभावक उन स्कूलों पर भी फीस में छूट के लिये दवाव बना रहे हैं। जबकि U.P. बोर्ड के स्कूलों से फीस छूट को कहना अनुचित है इनकी फीस बेहद कम व कोर्स फिक्स है इनके पास कमीशन का भी कोई सशक्त माध्यम नही है। जबकि शहरी क्षेत्र के स्कूलों ने लूट मचाई हुई है उन सभी CBSE व ICSE बोर्ड के स्कूलों को हर हाल में अभिभावकों को छूट देनी ही चाहिए इस विषय पर तमाम समाजसेवी अभिभावकों ने अपनी आवाज उठाई है और इस सम्बंध में वरिष्ठ अधिवक्ता व आर टी आई एक्टिविस्ट यशेन्द्र सिंह ने पहले भी इस विषय को प्रमुखता से उठाया है और आज इस विषय पर वार्ता करने पर स्कूलों की कैटेगरी को अलग अलग करने की बात कही है क्योंकि प्रदेश में U P बोर्ड से मान्यता प्राप्त स्कूलों का कार्य बेहद सराहनीय व ग्रामीण क्षेत्र के लिए बेहद जरूरी भी है और अधिकतर U P बोर्ड के स्कूलों ने आर्थिक तंगी के बाद भी फीस में छूट प्रदान करनी शुरू कर दी है वरिष्ठ अधिवक्ता यशेन्द्र सिंह ने बताया कि असल समस्या CBSE व ICSE बोर्ड के स्कूलों से हो रही है जोकि हर हाल में अभिभावकों से लॉक डाउन के समय की भी फीस जमा करने का दवाव बना रहे है ऐसे सभी स्कूलों को चिन्हित करके उनके खिलाफ अभियान चलाने के लिये जागरूक अभिभावकों व समाजसेवी लोगों को एक साथ आने की जरूरत है और जरूरत पड़ने पर न्यायालय का द्वार भी खटखटाया जाएगा ।
– बरेली से सौरभ पाठक की रिपोर्ट