हरिद्वार/रुड़की- शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक का यह कहना किसी मज़ाक़ से कम नहीं है कि रुड़की मेयर का चुनाव बिना रामपुर-पाडली के होगा और “आबादी का सर्वेक्षण कराने के बाद रामपुर-पाडली को अलग नगर पालिका या नगर पंचायत का दर्जा दिया जाएगा।” शायद 2 जनवरी को सरकार हाई कोर्ट में यही जवाब देने जा रही है। अगर ऐसा होता है तो यह एक प्रकार से गुमराह करने वाला जवाब होगा, क्योंकि रामपुर और पाडली का आपस में कोई तालमेल तभी बनता है जब ये दोनों निगम में जुड़ें। भौगोलिक रूप से रामपुर उत्तर-पश्चिम में है जबकि पाडली दक्षिण में। इन दोनों आबादियों के बीच में रुड़की नगर है। अगर कौशिक कहें कि दोनों को अलग नगर पंचायत का दर्जा दिया जाएगा तो फिर भी बात समझ में आती है। दोनों को मिलाकर एक निकाय बनाने का तो कोई तर्क ही नहीं है। यही इस बात का प्रमाण है कि कौशिक जो कुछ कह रहे हैं, उसे लेकर शायद वे गंभीर ही नहीं हैं।
कोई मामला अगर अदालत में हो तो लोकतंत्र इसलिये दुखदाई बन जाता है क्योंकि अदालत में जवाब खुद मंत्री को नहीं बल्कि शासन या प्रशासन को देना होता है। यही कारण है कि मंत्री या सरकार नियमों के साथ लगातार खिलवाड़ करके, जनता के साथ ज़ुल्म करके भी बेपरवाह बने रहते हैं। यही रामपुर-पाडली को लेकर हो रहा है। 2015 में तर्कपूर्ण ढंग से रामपुर-पाडली को रुड़की नगर निगम में शामिल किया गया था। रामपुर से रुड़की की दूरी महज़ एक सड़क है जो दोनों के बीच मौजूद है। रुड़की के ग्रीन पार्क, गुलाब नगर आदि मोहल्ले रामपुर के रकबे में बसे हुए हैं। इसी प्रकार रुड़की और पाडली के बीच केवल रेलवे लाइन है। निगम में शामिल सुनहरा और मतलबपुर जाने के लिए पहले रुड़की से रामपुर जाना जरूरी है। इसी प्रकार आसफनगर की दूरी रुड़की निगम कार्यालय से 10 किलोमीटर है जबकि पाडली की दूरी महज़ 3-4 और रामपुर की दूरी महज़ डेढ़ किलोमीटर है। ये सारी चीज़ें ऐसी हैं जिन्हें वादी हाईकोर्ट में ज़रूर उठाएगा और वहां इसका जवाब खुद मदन कौशिक नहीं बल्कि मौके पर मौजूद शासन या सरकार के नुमाइंदे को देना होगा। इसी मोर्चे पर मंत्री सेफ हैं। जितनी ज़िद रामपुर-पाडली पर कौशिक दिखा रहे हैं उसे देखते हुए वादी के लिए ये ज़्यादा बेहतर रह सकता है कि वह मंत्री को भी मामले में व्यक्तिगत रूप से पक्षकार बनाये। लेकिन ऐसा कोई करता नहीं। यही कारण है कि अदालत के बाहर मंत्री की पूरी चल जाती है। जैसे कौशिक की चल रही है। वे खुल्लम-खुल्ला कह रहे हैं कि “रुड़की निगम का चुनाव बिना रामपुर-पाडली के ही होगा और उसमें आसफनगर, मतल्लापुर, सुनहरा भी शामिल रहेंगे।” बहरहाल, मामले की सुनवाई 2 जनवरी को हाई कोर्ट में होनी है। देखना होगा कि अदालत में व्यक्तिगत पेशी के लिए निर्देशित किये गए शहरी विकास सचिव क्या जवाब लेकर पहुँचते हैं।
– रूडकी से इरफान अहमद की रिपोर्ट