भदोही- अल्लाह पाक ने कुछ चीजों को कुछ चीजों पर फ़ज़ीलत बख़्शी है जैसे मदीना मुनोवरा शरीफ दुनिया के सारे शहरों में से अफ़ज़ल है ज़मज़म सरीफ सारे पानियों से अफ़ज़ल है मोमिन की हैसियत दूसरें आम इंसानो के मुकाबले में अफ़ज़ल है और हमारे प्यारे आका नबी सलल्लाहो अलैहे बसल्लम सारे नबियों और रसूलों से अफ़ज़ल है इसी तरह जुमा का दिन और दूसरे दिनों से अफ़ज़ल है रमजान का महीना साल के और दूसरे महीनों से अफ़ज़ल है और शबे बरआत और दूसरी रातों से अफ़ज़ल है। उक्त बातें इमामे ईदगाह हाफिज अशफाक़ रब्बानी ने शबे बरआत की फजीलत ब्यान करते हुए बताया कि शबान महीने की 15 वीं रात को शबे बरआत कहा जाता है। बरआत का मतलब है बरी होना आजाद होना चूंकि यह रात अपने गुनाहों से तोबा करके अल्लाह के फ़ज़्ल से जहन्नम के अज़ाब से आज़ाद होने की रात है। इसलिए इसे शबे बरआत कहा जाता है। श्री रब्बानी ने कहा शअबान की पंद्रहवीं रात को बरकत वाली रात भी कहा जाता है। कहा इस रत को अल्लाह पाक ने सूरए दुखांन मे फ़रमाया हमने इसे एक बरकत वाली रात में उतारा इस रात हर हिकमत वाला काम बांट दिया ।
इस रात के बारे में उम्मुल मोमेनीन हजरत आईशा सिद्दीका रज़ि0 को बताते हुए अल्लाह के रसूल ने फ़रमाया अगले साल जितने भी पैदा होने वाले होते है वह इस रात लिख दिए जाते है और जितने लोग इस साल मरने वाले होते है वह भी इस रात लिख दिए जाते है और इस रात में लोगों के साल भर के आमाल की मुकर्रर रोज़ी उतार दी जाती है। इस रात की फ़ज़ीलत के बारे में हज़रत अबू बक्र सिद्दीक रज़िअल्लाह अन्हो फ़रमाते है मेरे आका ने फ़रमाया अल्लाह पाक शअबान की 15 वीं रात अपनी रहमत से अपने बन्दों को बख़्श देता है लेकिन शिर्क करने वाले अपने भाई से दुश्मनी रखने वाले शराब पीने वाले माँ बाप का नाफरमान को नही बख्शता जब तक कि वो तौबा न कर ले ।
हज़रत अली शेरे खुदा फ़रमाते है जब शअबान की 15 वीं रात नसीब हो तो यह रात इबादत में गुजारो नफ़्ल नमाज़े पढ़ो और दिन में रोज़ा रखो इस रात तौबा करने वालों की तौबा क़बूल की जाती है रोज़ी में बरकत की दुआ करने वालों की रोज़ी में बरकत अता की जाती है बीमारों को शिफा दी जाती है।
पत्रकार आफ़ताब अंसारी